(ग) दुगुने उत्साह का क्या परिणाम होता है?
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अतः कर्म करते समय कोई विशेष उत्साह नहीं होता स्वयं का निर्देश तथा निरस्त हो उठता है साक्षी श्री गतिशील फल पाने की लालसा के कारण कर्म करने वाला उतावला हो जाता है और इस उतावलापन के कारण गलती करता है क्यों हो जाता है और इस चूक का दुष्परिणाम भोगना पड़ता है
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