गाँधी इरविन समझौता कब हुआ? इसकी दो शतो का उल्लेख कीजिए?
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Answer:
5 मार्च 1931 को लंदन द्वितीय गोल मेज सम्मेलन के पूर्व, महात्मा गांधी और तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन के बीच हस्ताक्षर करके एक राजनीतिक समझौता किया गया था, जिसे गांधी-इरविन समझौता के रूप में जाना जाता है।
Explanation:
मार्च और अप्रैल 1930 के बीच, महात्मा गांधी ने समुद्री जल से नमक का उत्पादन करने के लिए, समुद्र के तटीय गाँव दांडी से नमक सत्याग्रह या नमक मार्च की शुरुआत की थी। यह सविनय अवज्ञा आंदोलन का पहला कदम था। ब्रिटिश सरकार ने भारत के लोगों पर स्वतंत्र रूप से नमक बनाने या बेचने पर रोक लगाने वाले कई कानून लागू किए। भारतीयों को अंग्रेजों ने महँगे और भारी करों वाले नमक को खरीदने के लिए भी बाध्य किया था। नमक सत्याग्रह अंग्रेजों की इन नीतियों के विरुद्ध था और इसने सविनय अवज्ञा आंदोलन को भड़काने में काफी मदद की थी। इसके कारण अंग्रेजों को सत्याग्रहियों के साथ-साथ महात्मा गांधी को भी गिरफ्तार करना पड़ा था। हालाँकि, फिर भी आंदोलन ने काफी प्रगति की और लाखों लोगों को अपनी ओर आक्षकर्षित करने में भी सफल हुआ। अंग्रेजो ने आंदोलन को बंद करने के लिए लाठी चार्ज, प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी, गिरफ्तारी आदि जैसी कई क्रूर उपाय का भी सहारा लिया था। अंग्रेजों ने वर्ष 1930 के अंत तक, जवाहरलाल नेहरू जैसे प्रमुख कांग्रेस नेताओं के साथ-साथ हजारों साधारण भारतीयों को जेल में बंद कर दिया था। इस आंदोलन ने न केवल अंग्रेजों के लिए परेशानी पैदा की थी, बल्कि यह आंदोलन दुनिया भर की मीडिया का ध्यान आकर्षित करने में भी सफल हुआ था। लॉर्ड इरविन इस परेशानी से निजात पाने के लिए, महात्मा गांधी से बातचीत करने के लिए राजी हो गया था और इसलिए वर्ष 1931 में महात्मा गांधी को जेल से रिहा कर दिया गया था। इस प्रकार, दोनों लोग महात्मा गांधी और इरविन ने अपनी-अपनी बात प्रस्तुत की औरवर्ष 1931 में सहमति जताते हुए गांधी-इरविन समझौते पर हस्ताक्षर किए। इन दोनों नेताओं के बीच कुल आठ बैठकें हुईं थी और यह बैठकें 24 घंटे तक चलीं थी।जिस समझौते पर अंग्रेजी सरकार की ओर से लॉर्ड इरविन द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे और महात्मा गांधी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से जिन निम्नलिखित बिंदुओं पर सहमति व्यक्त की थी