Hindi, asked by harshal2475, 9 months ago

गांधीजी आश्रम के बालकों पर किस तरह ध्यान देते थे​

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Answered by manjumeena80369
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बाल वनिता आश्रम में बड़ी संख्या में निराश्रित व हर तरफ से ठुकराए हुए बच्चे नई जिंदगी पा रहे हैं। समय बीतने के साथ यह अनाथ आश्रम तरक्की ही कर रहा है। अगर हम ऐतिहासिक दस्तावेजों की मानें तो उस दिन द्रोणनगरी में जबरदस्त चहल पहल थी।

हर जगह यही चर्चा थी कि बापू किसी बड़े उद्देश्य के लिए दून आ रहे हैं। दून ही नहीं बल्कि आसपास के जिले से भी लोग उन्हें देखने-छूने के लिए उमड़ पड़े। बापू दून में बाल वनिता आश्रम को स्थापित करने के उद्देश्य से बेहद प्रभावित थे। इसलिए वह यहां पर आए और लंबे समय तक आश्रम परिसर में रहे।

इसके साथ ही उन्होंने खुड़बुड़ा क्षेत्र का भी भ्रमण किया। यहां पर गोरखा-गढ़वाल राजा के मध्य हुई जंग की जानकारी भी हासिल की थी। राज्य अभिलेखागार के निदेशक डा. लालता प्रसाद ने बताया कि महात्मा गांधी के प्रति दूनघाटी में हमेशा हमेशा ही दीवानगी रही है। यहां के लोगों ने बापू को आदर, स्नेह, सम्मान दिया।

मसीही ध्यान केंद्र में रोपा था पीपल का पौधा

उसी दिन, मसूरी मार्ग स्थित ऐतिहासिक मसीही ध्यान केंद्र (क्रिश्चियन रिट्रीट सेंटर) में बापू ने यहां पीपल का पौधा रोपा था। अब यह वटवृक्ष बन गया है। यहां के निदेशक कैप्टन राबर्ट भरोचा ने बताया कि हम इस ऐतिहासिक पीपल के पेड़ की देखभाल बच्चे की तरह करते हैं। वर्ष में कई बार इसके स्वास्थ्य की जांच कराई जाती है। यह मसीही ध्यान केंद्र ही नहीं बल्कि देश की धरोहर है। बापू को भी यह स्थान बेहद प्रिय था। देश के जाने माने शिक्षाविद् स्वर्गीय डा. डीपी पांडे ने भी यहां विद्यालय चलाया था। उनके पौत्र (नाती) डा. हिमांशु शेखर ने बताया कि यह ऐतिहासिक स्थल है।

Answered by kanchanivarma
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I don't know her answer.

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