गांधीजी एक प्रकार की हिंसा के बात कर रहे थे वह क्या है क्या आपने कभी इसका सामना क्या है उदाहरण दीजिए
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किसी भी प्राणी को तन, मन, कर्म, वचन और वाणी से कोई नुकसान पहुँचाना। मन में किसी का अहित सोचना, किसी को कटुवाणी आदि के द्वार भी नुकसान देना तथा कर्म से भी किसी भी अवस्था में, किसी भी प्राणी कि हिंसा करना, यह भी एक हिंसा है।
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