गांधीजी के अनुसार सत्य का रुप है हिन्दी में
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यदि चरम एवं ईश्वरीय सत्य का ज्ञान प्राप्त करना है तो व्यक्ति को सत्य का प्रयोग करना चाहिए l गांधी जी ने कहा है, सत्य केवल शब्दों की सत्यता ,नहीं बल्कि विचारों की सत्यता भी है lऔर हमारी अवधारणा का सापेक्षिक सत्य ही नहीं है, बल्कि निरपेक्ष असत्य भी है l जो ईश्वर ही l
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