Hindi, asked by thanushree5370, 6 hours ago

गांधीजी की असहयोग आंदोलन पर एक निबंध लिखिए।



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Answered by xxitssagerxx
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★ गांधीजी की असहयोग आंदोलन ★

  • प्रारम्भ में गांधीजी ब्रिटिश शासन के प्रति सहयोग करने के पक्ष में थे, क्योंकि ब्रिटिश सरकार ने प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् भारत को स्वराज्य देने की बात कही थी। परन्तु विश्व युद्ध समाप्त होने के पश्चात् भारतीयों को स्वराज्य देने के बजाय भारतीयों पर अत्याचार प्रारम्भ कर दिए, इसलिए गांधीजी को भी स्वराज्य प्राप्त करने के लिए असहयोग आन्दोलन का सहारा लेना पड़ा।

  • कांग्रेस ने सन् 1918 के अपने दिल्ली अधिवेशन में सरकार से यह माँग की थी कि उन सारे कानूनों, अध्यादेशों, रेग्यूलेशनों को समाप्त कर दिया जाए जिनके द्वारा राजनीतिक समस्याओं पर स्वतन्त्रतापूर्वक वाद-विवाद नहीं हो सकता और नेताओं को गिरफ्तार कर लिया जाता है व देश निकाला दे दिया जाता है। परन्तु सरकार ने इस प्रार्थना का उत्तर दमनकारी 'रौलट एक्ट' के रूप में दिया। इस सम्बन्ध में गांधीजी ने कहा था कि "हमने माँगी थी रोटी, मगर मिले पत्थर।"

  • जस्टिस सिडनी रौलट की अध्यक्षता में बनी एक समिति ने भारत के मौजूदा कानूनों को क्रान्तिकारी अपराधों को रोकने के लिए अपर्याप्त बताया। समिति की रिपोर्ट के आधार पर फरवरी, 1919 के केन्द्रीय विधानमण्डल में दो बिल पेश किए गए। इन बिलों के आधार पर सरकार किसी भी सन्देहास्पद व्यक्ति को मुकदमा चलाए बिना इच्छानुसार समय तक जेल में बन्द रख सकती थी। केन्द्रीय विधानमण्डल के सदस्यों ने इन बिलों को 'काला विधेयक' का नाम देते हुए विरोध किया। महात्मा गांधी ने सरकार से निवेदन किया कि इन बिलों को पारित करने से पूर्व पुनर्विचार कर ले, क्योंकि इनसे स्थिति बिगड़ सकती है। भारतीय 'नेताओं के विरोध के बावजूद भी 17 मार्च, 1919 को रौलट एक्ट पारित कर दिया गया।
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