गाँधीजी की रामराज्य की अवधारणा क्या थी?
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गांधी जी के राम राज्य की परिकल्पना बिल्कुल अलग थी। राम राज्य यानी आदर्श राज्य। किसी एक धर्म विशेष का राज्य नहीं, बल्कि नीति और मर्यादा पर आधारित एक ऐसा राज्य जिसमें धर्म, जाति, लिंग, भाषा और क्षेत्र आदि के आधार पर भेदभाव न हो।
हर व्यक्ति के पास राजनीतिक निर्णय प्रक्रिया में सहभागिता और अभिव्यक्ति का अधिकार हो। प्रेम और सद्भाव जिस राज्य की नींव हो। यह तो मान ही लिया जाए कि गांधी के राम राज्य में रोहित वेमुला जैसा युवा आत्महत्या करने पर मजबूर न होगा, विरोध और विसम्मति देशद्रोह न कहलाएगा और लेखकों-इतिहासकारों की सोच पर पहरा न होगा।
1929 में यंग इंडिया में गांधी जी ने लिखा था कि राम राज्य से मेरा अर्थ हिंदू राज्य नहीं है। मेरा मतलब है, ईश्वरीय राज, भगवान का राज्य। चाहे मेरी कल्पना के राम कभी इस धरती पर रहे हों या नहीं, राम राज्य का प्राचीन आदर्श नि:संदेह एक ऐसे सच्चे लोकतंत्र का है जहां सबसे कमजोर नागरिक भी बिना किसी लंबी और महंगी प्रक्रिया के जल्द-से-जल्द न्याय मिलने के प्रति आश्वस्त हो। मेरे सपनों का राम राज्य राजा और रंक को बराबर का अधिकार देगा। रामचरित मानस में भी राम राज्य की व्याख्या गांधी की परिभाषा से ही मेल खाती है। गांधी का धार्मिक बोध भी निराला था।
उनका धर्म भी उनके राम और राम राज्य की तरह पंथनिरपेक्ष था। वे अपने आप को सनातनी हिंदू तो कहते थे, पर उनका हिंदुत्व वर्ण व्यवस्थाओं और धार्मिक अनुष्ठानों की कैद से आजाद था। उन्होंने धर्म की संभावनाओं को समानता, सद्भाव, बंधुत्व, स्वतंत्रता जैसे सामाजिक और राजनीतिक आधारों पर पुनर्परिभाषित करने की कोशिश की। हिंद स्वराज में उन्होंने लिखा है कि मुङो तो धर्म प्यारा है, इसलिए मुङो पहला दुख यह है कि हिंदुस्तान धर्म भ्रष्ट होता जा रहा है।
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Answer:
गांधी की 'राम राज' की परिभाषा शुद्ध नैतिक अधिकार के आधार पर लोगों की संप्रभुता है।
Explanation:
गांधी जी के अनुसार राम राज्य पृथ्वी पर ईश्वर का राज्य है। यह भगवान एक अमूर्त रूप है, और वह राम और रहीम दोनों हैं। गांधी जी का दृढ़ विश्वास था कि यह आदर्श राज्य न केवल हमारे काल्पनिक स्वर्ग में, बल्कि अन्याय और असमानता की समकालीन दुनिया में भी संभव है।
महात्मा गांधी ने भले ही इस शब्द को अपने आधुनिक अवतार में गढ़ा हो, 'राम राज्य' की अवधारणा सदियों से भारतीय सोच का हिस्सा रही है। इस शब्द का व्यावहारिक और दार्शनिक-सह-कल्पनावादी पहलूदोनों पहलू हैं।
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