गांधीजी की सक्रियता के आहवान दोहरा अवान
था, कसे?
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गाँधी जी की सक्रियता को दोहरा आह्वान माना गया क्योंकि एक ओर तो उनका लक्ष्य था विदेशी शासन की चुनौती देना और दूसरी ओर सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध लड़कर देश की समस्याओं को हल करना व दलित जातियों को ऊपर उठाने के साथ छुआछूत के अभिशाप को समाप्त करना।
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गाँधी जी की सक्रियता को दोहरा आह्वान माना गया क्योंकि एक ओर तो उनका लक्ष्य था विदेशी शासन की चुनौती देना और दूसरी ओर सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध लड़कर देश की समस्याओं को हल करना व दलित जातियों को ऊपर उठाने के साथ छुआछूत के अभिशाप को समाप्त करना।
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