गांधीजी के दिल में कौन सी बात बार-बार उठती थी
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जनवरी, 1948 को दिल्ली में सूरज नहीं निकला था. कोहरे और जाड़े के कारण सड़कों पर दिल्लीवाले ज़्यादा नहीं निकले थे. मैं हर रोज की तरह आकाशवाणी भवन से अलबुकर्क रोड (अब तीस जनवरी मार्ग) पर स्थित बिड़ला हाउस (अब गांधी स्मृति) के लिए निकला.
वक्त रहा होगा दिन के साढ़े तीन बजे. मैं महात्मा गांधी की प्रार्थना सभा की रिकॉर्डिंग के लिए जाता था. सभा शाम पांच से छह बजे तक चलती थी. इसमें सर्वधर्म प्रार्थना होती थी.
सभा के अंतिम क्षणों में गांधी सामयिक विषयों पर टिप्पणी करते थे. सभा में आने वाले लोग उनसे बीच-बीच में प्रश्न भी करते थे. बिड़ला हाउस में प्रार्थना सभा का सिलसिला सितम्बर,1947 से शुरू हुआ था.
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महात्मा गांधी, गोडसे
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मैं प्रार्थना सभा की रिकॉर्डिंग को बाद में दफ्तर में दे देता था. उसे उसी दिन रात के 8.30 बजे प्रसारित किया जाता था. मैं वक्त पर उस दिन भी बिड़ला हाउस पहुंच गया. वहां पर प्रार्थना सभा में भाग लेने वालों ने आना चालू कर दिया था.
मैं अपनी रिकॉर्डिंग मशीन को गांधीजी के मंच के पास रख देता था. रोज की तरह सबसे पहले आने वालों में नंदलाल मेहता थे. वे गुजराती थे. कनॉट प्लेस में रहते थे.
साढ़े चार बजे तक प्रार्थना सभा स्थल खचाखच भर गया था. आने वालों में देश से विदेश से, राज्यों से, कोई इंटरव्यू के लिए आ रहा था तो कोई मार्गदर्शन के लिए तो कोई सिर्फ दर्शन करने.
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