गांधी जी के विचारों के ऊपर अनुच्छेद लिखिए
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अनुच्छेद
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गांधीजी ने सबको सत्य एवं अहिंसा के मार्ग पे चलने का सन्देश दिया उनका ऐसा मानना था कि व्यक्ति के विचारो में परिवर्तन ला कर बड़ी से बड़ी जंग जीती जा सकती है, गांधीजी ने अपने विचारो के माध्यम से राजनितिक, दार्शनिक, सामाजिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन किये, वे एक समाज सुधारक भी थे उन्होंने निची जाति के लोगो के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई एवं छुआ-छूत का विरोध किया, निम्न्न जाति के लोगो को सर्वप्रथम उन्होंने ही हरिजन कह कर बुलाना प्रारंभ किया जिसका शाब्दिक अर्थ “ईश्वर के बच्चे” है।
गांधीजी की ऐसी विचारधारा थी कि राज्य को धर्म के मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, उनके अनुसार ईश्वर तो सत्य एवं प्रेम का रूप हैं, उनका भी यही मानना था की सबका मालिक एक है बस सब ईश्वर की अलग अलग व्याख्या करते हैं, गांधीजी का स्वयं का जीवन मानव और समाज का वो नैतिक लेख है जिसके गर्भ दृष्टि से उनकी अहिंसा एवं सत्य की विचारधारा का प्रादुर्भाव हुआ।
गांधीजी ने सबको सत्य एवं अहिंसा के मार्ग पे चलने का सन्देश दिया उनका ऐसा मानना था कि व्यक्ति के विचारो में परिवर्तन ला कर बड़ी से बड़ी जंग जीती जा सकती है, गांधीजी ने अपने विचारो के माध्यम से राजनितिक, दार्शनिक, सामाजिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन किये, वे एक समाज सुधारक भी थे उन्होंने निची जाति के लोगो के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई एवं छुआ-छूत का विरोध किया, निम्न्न जाति के लोगो को सर्वप्रथम उन्होंने ही हरिजन कह कर बुलाना प्रारंभ किया जिसका शाब्दिक अर्थ “ईश्वर के बच्चे” है।