गांधीजी कि विनोद के बरें मे क्या राय ठी
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महात्मा गांधी की छवि आम तौर पर एक धीर-गंभीर विचारक, आध्यात्मिक महापुरुष और एक कड़क अनुशासन प्रिय राजनेता की रही है लेकिन उनकी विनोदप्रियता और हाज़िरजवाबी का भी कोई जवाब नहीं था.
अपने हास्य और व्यंग्य से वे बड़े-बड़े लोगों को लाजवाब कर देते थे. वह खुलकर हंसते थे और हंसते वक्त ही पता चलता था कि उनके कई दांत उम्र के साथ ग़ायब हो चुके हैं.
महात्मा गांधी चुटीले सवालों का जवाब उसी चुलबुले अंदाज में देने माहिर थे. एक बार उन्होंने खुद कहा था 'अगर मुझमें हास्य-विनोद (सेंस ऑफ़ ह्यूमर) ना होता तो मैं अब तक आत्महत्या कर चुका होता
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