गांधीजी के विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के आंदोलन का लक्ष्य था
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स्वदेशी आन्दोलन
भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन का एक महत्वपूर्ण आन्दोलन, सफल रणनीति व दर्शन का था। स्वदेशी का अर्थ है - 'अपने देश का'। इस रणनीति के लक्ष्य ब्रिटेन में बने माल का बहिष्कार करना तथा भारत में बने माल का अधिकाधिक प्रयोग करके साम्राज्यवादी ब्रिटेन को आर्थिक हानि पहुँचाना व भारत के लोगों के लिये रोजगार सृजन करना था। यह ब्रितानी शासन को उखाड़ फेंकने और भारत की समग्र आर्थिक व्यवस्था के विकास के लिए अपनाया गया साधन था।
वर्ष 1905 के बंग-भंग विरोधी जनजागरण से स्वदेशी आन्दोलन को बहुत बल मिला। यह 1911 तक चला और गान्धीजी के भारत में पदार्पण के पूर्व सभी सफल अन्दोलनों में से एक था। अरविन्द घोष, रवीन्द्रनाथ ठाकुर, वीर सावरकर, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और लाला लाजपत राय स्वदेशी आन्दोलन के मुख्य उद्घोषक थे।[1]आगे चलकर यही स्वदेशी आन्दोलन महात्मा गांधी के स्वतन्त्रता आन्दोलन का भी केन्द्र-बिन्दु बन गया। उन्होने इसे "स्वराज की आत्मा" कहा।✴✴✴✴✴✴thanks..
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स्वदेशी आन्दोलन
भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन का एक महत्वपूर्ण आन्दोलन, सफल रणनीति व दर्शन का था। स्वदेशी का अर्थ है - 'अपने देश का'। इस रणनीति के लक्ष्य ब्रिटेन में बने माल का बहिष्कार करना तथा भारत में बने माल का अधिकाधिक प्रयोग करके साम्राज्यवादी ब्रिटेन को आर्थिक हानि पहुँचाना व भारत के लोगों के लिये रोजगार सृजन करना था। यह ब्रितानी शासन को उखाड़ फेंकने और भारत की समग्र आर्थिक व्यवस्था के विकास के लिए अपनाया गया साधन था।
वर्ष 1905 के बंग-भंग विरोधी जनजागरण से स्वदेशी आन्दोलन को बहुत बल मिला। यह 1911 तक चला और गान्धीजी के भारत में पदार्पण के पूर्व सभी सफल अन्दोलनों में से एक था। अरविन्द घोष, रवीन्द्रनाथ ठाकुर, वीर सावरकर, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और लाला लाजपत राय स्वदेशी आन्दोलन के मुख्य उद्घोषक थे।[1]आगे चलकर यही स्वदेशी आन्दोलन महात्मा गांधी के स्वतन्त्रता आन्दोलन का भी केन्द्र-बिन्दु बन गया। उन्होने इसे "स्वराज की आत्मा" कहा।✴✴✴✴✴✴thanks..
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गांधीजी के विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के आंदोलन का लक्ष्य था ब्रिटिश शासन से भारत की स्वतंत्रता, जो केवल भारतीय निर्मित उत्पादों के बढ़ते उपयोग से प्राप्त की जा सकती है।
Explanation:
विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का मुख्य कारण भारत में आर्थिक रूप से ब्रिटिश लोगों के हस्तक्षेप को कम करना था। सस्ते कारखाने के सामान ने भारतीय खादी को बुरी तरह प्रभावित किया। गांधी ने 1920 में असहयोग आंदोलन शुरू किया जिसका उद्देश्य विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करना था और भारतीय स्थानीय उत्पादों के उपयोग को प्रोत्साहित करना था। गांधीजी का मानना है कि ब्रिटिश भारत पर शासन कर रहे हैं क्योंकि भारतीय उनके साथ सहयोग कर रहे हैं। स्वदेशी आंदोलन के साथ उन्होंने ब्रिटिश एकाधिकार को रोकने की कोशिश की।
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गांधीजी के अहिंसा
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