गांधीजी कस्तूरबा को उन बर्तनों की सफाई सोपकर क्यों चले गए
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जब कस्तूरबा गांधी को बापू ने बताया सफाई का पहला पाठ, गांव के बच्चों को नहलाने के लिए कहा
बापू ने देश की आजादी के साथ ही स्वच्छ भारत का सपना संजोया था। महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर जानिए उनसे जुड़ा महत्वपूर्ण किस्सा।
नई दिल्ली। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती दो अक्टूबर को पूरे देश में मनाई जाएगी। इस दौरान उनके विचार, कार्य और दर्शन को याद किया जाएगा। साथ ही एक बार फिर से स्वच्छता को लेकर उनकी सोच, अभियान को भी जनता तक पहुंचाया जाएगा। बापू ने देश की आजादी के साथ ही स्वच्छ भारत का सपना संजोया था। इसके लिए वह देशभर में घूमे भी थे।
महात्मा गांधी ने ही हरिद्वार के कुंभ मेले से पहला स्वच्छता अभियान चलाया था। सफाई को लेकर वह बहुत संजीदा थे। गांधी जी ने कहा था कि इंसान को खुद साफ-सफाई करनी चाहिए। वह साफ सफाई को देशभक्ति के समान मानते थे। स्वच्छता को लेकर गांधी जी के कई किस्से कहानियां हैं जो स्वच्छता के सिपाहियों को प्रेरित करती आई हैं। ऐसी ही एक कहानी है महात्मा गांधी और उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी के बीच हुए संवाद की।
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सफाई का पहला पाठ
गांधी कथा किताब के अध्याय 25 के अनुसार, महात्मा गांधी अफ्रीका के सत्याग्रह में सफलता प्राप्त कर भारत लौट आए थे। अपने गुरु श्री गोखले के कथनानुसार वे पूरे भारत में घूम रहे थे। एक बार वह बिहार के चंपारण गए। वहां वह लोगों से मिले। उन्होंने जनता के अंदर चेतना जगाई। गांवों में स्कूल खोलने का काम शुरू किया। कस्तूरबा गांधी भी चंपारण गई थीं।
गांधी जी ने उनसे कहा , " तुम क्यों कोई स्कूल नहीं शुरू करती? किसानों के बच्चों के पास जाओ, उन्हें पढ़ाओ? " कस्तूरबां बोलीं, "मैं क्या सिखाऊं? उन्हें क्या मैं गुजराती सिखाऊं? अभी मुझे बिहार की हिंदी आती भी तो नहीं।" इसके बाद गांधी जी ने कहा, " बात यह नहीं है। बच्चों का प्राथमिक शिक्षण तो सफाई है। किसानों के बच्चों को इकट्ठा करो। उनके दांत देखो। आंखें देखो। उन्हें नहलाओ। इस तरह उन्हें सफाई का पहला पाठ तो सिखा सकोगी। मां के लिए ये सब करना कठिन थोड़े ही है। ये सब करते-करते उनके साथ बातचीत करोगी तो वे भी तमुसे बोलेंगे। उनकी भाषा तुम्हारी समझ में आने लगेगी और आगे जाकर तुम उन्हें ज्ञान भी दे सकोगी, लेकिन सफाई का पाठ तो कल से ही उन्हें देना शुरू करो। "