गांधी जी ने बुराई का अंत करने के लिए क्या सुझाव दिया क्या इस सुझाव का अनुसरण करना आसान होगा तर्क दीजिए
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गांधी जी ने अपना जीवन सत्य, या सच्चाई की व्यापक खोज में समर्पित कर दिया। उन्होंने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी स्वयं की गल्तियों और खुद पर प्रयोग करते हुए सीखने की कोशिश की। उन्होंने अपनी आत्मकथा को सत्य के प्रयोग का नाम दिया।
गांधी जी ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण लड़ाई लड़ने के लिए अपने दुष्टात्माओं , भय और असुरक्षा जैसे तत्वों पर विजय पाना है। गांधी जी ने अपने विचारों को सबसे पहले उस समय संक्षेप में व्यक्त किया जब उन्होंने कहा भगवान ही सत्य है| बाद में उन्होंने अपने इस कथन को सत्य ही भगवान है में बदल दिया। इस प्रकार , सत्य में गांधी के दर्शन है " परमेश्वर
गांधी जी ने बुराई का अंत करने के लिए हमें बहुत सी बाते सिखाई है|
गांधी जी हमेशा कहते थे कि हमें सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए | किसी भी बुराई का अंत करने के लिए हमें अहिंसा का रास्ता अपनाना चाहिए| हमेशा शांति के साथ सोच-विचार करके निर्णय लेना चाहिए| सत्य पर हमेशा अटल रहना चाहिए | सत्य और अहिंसा और के रास्ते पर चलना चाहिए |
हमेशा सच्चाई के रास्ते पर चलना चाहिए | शान्तिः से मुश्किलों का सामना करना चाहिए| लड़ाई करके कुछ नहीं मिलता | लड़ाई और हिंसा का रास्ता अपनाने से मुश्किलें और भी बढ़ जाती है किसी भी बात का कोई हल नहीं निकलता| गांधी जी हमेशा सब को एक बराबर समझा और जात-पात , भेद-भाव जैसी प्रथाओं को खत्म करने का प्रयास किया|
हमें गाँधी जी के जीवन से सीखना चाहिए | बापू जी के जीवन से हमें यही सीख मिलती है कि यदि हमें बार-बार असफलता का सामना करना पड़े तब भी आशा नहीं छोड़नी चाहिए। हो सकता है कि इस असफलता के बाद ही सफलता मिले।
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