Hindi, asked by piyushsinha419, 4 days ago

गाँधीजी ने स्वयं सभ्य बनने की सनम में इंग्लैंड में क्या-क्या उपाय किए ?​

Answers

Answered by MrPapaKaHelicopter
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उत्तर

गाँधी जी अपने मित्र से असभ्य नहीं कहलाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने सभ्यता सीखने के लिए अपनी सामर्थ्य से परे का छिछला रास्ता अपनाया। बम्बई के सिले कपड़े अंग्रेज समाज में शोभायमान नहीं लगेंगे इसलिए उन्होंने आर्मी और नेवी स्टोर से कपड़े सिलवाए और बड़ी राशि व्यय की। फिर बॉण्ड स्ट्रीट से कपड़े सिलवाये। दोनों जेबों में लटकाने वाली सोने की चेन मॅहगाई। बँधी-बँधाई टाई पहनना असभ्यता की निशानी थी। अत: टाई बाँधना सीखा और बहुत समय आईने के सामने व्यतीत किया। आईने के सामने खड़े होकर बालों में पट्टी डालकर सीधी माँग निकालने में रोज दस मिनट का समय व्यय किया। बालों को ठीक रखने के लिए ब्रश के साथ रोज लड़ाई लड़ी। माँग को सहेजने के लिए बार-बार सिर पर हाथ फेरते जिससे बाल व्यवस्थित रह सके।

पोशाक से ही सभ्य नहीं बना जा सकता था, कुछ और भी करना था। नाचना सभ्यता की निशानी है। अत: नाचना सीखा। फ्रेंच भाषा सीखी क्योंकि वह सारे यूरोप की राष्ट्रभाषा थी । यूरोप में घूमने के लिए फ्रेंच जानना आवश्यक था। छेदार भाषण कला भी आनी चाहिए। नाचना सीखने के लिए तीन पौण्ड जमा किए। पियानो बजता पर कुछ समझ में नहीं आता था। इस तरह सभ्य बनने का लोभ बढ़ता गया। वायोलिन बजाना सीखने का प्रयास भी किया। तीन पौण्ड में वायोलिन खरीदा। भाषण कला सीखने के लिए शिक्षक का सहारा लिया। इस प्रकार सभ्य बनने का भरसक प्रयत्न किया। किन्तु बेल साहब को घण्टी ने सारे अरमान ठण्डे कर दिये और विद्या धन बढ़ाने की ओर झुकाव हो गया। मित्र पर चाहे कुछ प्रभाव पड़ा हो पर गाँधीजी को सन्तुष्टि अवश्य हुई और झूठी सभ्यता की टीम-टाम से मुक्ति मिल गई।

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Answered by nihasrajgone2005
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Answer:

उत्तर

गाँधी जी अपने मित्र से असभ्य नहीं कहलाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने सभ्यता सीखने के लिए अपनी सामर्थ्य से परे का छिछला रास्ता अपनाया। बम्बई के सिले कपड़े अंग्रेज समाज में शोभायमान नहीं लगेंगे इसलिए उन्होंने आर्मी और नेवी स्टोर से कपड़े सिलवाए और बड़ी राशि व्यय की। फिर बॉण्ड स्ट्रीट से कपड़े सिलवाये। दोनों जेबों में लटकाने वाली सोने की चेन मॅहगाई। बँधी-बँधाई टाई पहनना असभ्यता की निशानी थी। अत: टाई बाँधना सीखा और बहुत समय आईने के सामने व्यतीत किया। आईने के सामने खड़े होकर बालों में पट्टी डालकर सीधी माँग निकालने में रोज दस मिनट का समय व्यय किया। बालों को ठीक रखने के लिए ब्रश के साथ रोज लड़ाई लड़ी। माँग को सहेजने के लिए बार-बार सिर पर हाथ फेरते जिससे बाल व्यवस्थित रह सके।

पोशाक से ही सभ्य नहीं बना जा सकता था, कुछ और भी करना था। नाचना सभ्यता की निशानी है। अत: नाचना सीखा। फ्रेंच भाषा सीखी क्योंकि वह सारे यूरोप की राष्ट्रभाषा थी । यूरोप में घूमने के लिए फ्रेंच जानना आवश्यक था। छेदार भाषण कला भी आनी चाहिए। नाचना सीखने के लिए तीन पौण्ड जमा किए। पियानो बजता पर कुछ समझ में नहीं आता था। इस तरह सभ्य बनने का लोभ बढ़ता गया। वायोलिन बजाना सीखने का प्रयास भी किया। तीन पौण्ड में वायोलिन खरीदा। भाषण कला सीखने के लिए शिक्षक का सहारा लिया। इस प्रकार सभ्य बनने का भरसक प्रयत्न किया। किन्तु बेल साहब को घण्टी ने सारे अरमान ठण्डे कर दिये और विद्या धन बढ़ाने की ओर झुकाव हो गया। मित्र पर चाहे कुछ प्रभाव पड़ा हो पर गाँधीजी को सन्तुष्टि अवश्य हुई और झूठी सभ्यता की टीम-टाम से मुक्ति मिल गई।

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Explanation:

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