गांधी जी ने विष्णु को सत्य और अहिंसा का संदेश दिया
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महात्मा गांधी हमेशा दूसरों की भावनाओं की कद्र करते थे। गुस्से में नकारात्मक भावनाएं नहीं बल्कि वह शांतिपूर्ण विरोध से सामने वाले को हराते थे।
बापू को आत्मनिर्भर ही सभी ने देखा है। उन्हीं के आश्रम में कपड़ा से लेकर भोजन तक तैयार होता था। मैनेजमेंट का ये फंडा आज भी बेहद कारगर है कि अपनी निर्भरता कम से कम रखने में ही तरक्की है।
गांधी जी की संवाद शैली और विचार प्रस्तुति ही उनकी जबरदस्त ताकत थी। उनकी इसी शैली से अंग्रेज हमेशा उनसे डरते रहे और भारतीय हमेशा उन्हें फॉलो करते रहे।
टाइम मैनेजमेंट में भी गांधी जी का कोई मुकाबला नहीं था, उन्होंने कभी नहीं कहा कि वह व्यस्त हैं। आश्रम में श्रमदान, हजारों पत्रों का जवाब, पूजा से टहलने तक का भी समय निकाल लिया करते थे।
जनसंपर्क गांधी जी का अहम हथियार था। उन्होंने दांडी मार्च निकाला जिसने देशव्यापी आंदोलन छेड़ दिया। इससे अच्छा जनसंपर्क का उदाहरण क्या मिलेगा। विरोध के बावजूद उन्होंने अनुयायियों के साथ मार्च शुरू किया। वो चलते गए और कारवां बनता गया।