Hindi, asked by sangeetajain7, 10 months ago

गांधी जी द्वारा अनेक बार अंग्रेजों को जताया गया कौन सा वाच्य है ​

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Answered by devip649110
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नई दिल्ली. भारतीय मूल के दो अफ्रीकी लेखकों की नई बुक The South African Gandhi: Stretcher-Bearer of Empire में दावा किया गया है कि महात्मा गांधी नस्लभेदी (racist) थे। इस किताब की रिलीज के बाद नया विवाद खड़ा हो सकता है। इस किताब के दो लेखकों के नाम हैं-अश्विन देसाई और गुलाम वहीद। अश्विन जोहांसबर्ग यूनिवर्सिटी में सोशियोलॉजी के प्रोफेसर हैं जबकि गुलाम वहीद नटाल में हिस्ट्री के प्रोफेसर हैं। इस बीच, किताब के बारे में मशहूर राइटर अरुंधति रॉय ने कहा है कि हमें जिस तरह से गांधी को पढ़ना सिखाया गया है, यह किताब उसे गंभीर चुनौती देती है।

क्या है किताब में?

किताब में गांधीजी को न सिर्फ नस्लभेदी बताया गया है बल्कि ये भी कहा गया है कि गांधी ब्रिटेन सरकार के ही पिछलग्गू थे। किताब में गांधीजी द्वारा साउथ अफ्रीका में बिताए गए सालों (1893-1914) का जिक्र है।

गांधीजी पर आरोप

किताब के लेखकों का दावा है कि उन्होंने केवल वही लिखा है जिसका जिक्र गांधी द्वारा खुद लिखे गए डॉक्युमेंट्स में मिलता है। गांधी ने अफ्रीकन लोगों को ‘गंवार’ और ‘काफिर’ कहा है। लेखकों के मुताबिक गांधी ब्रिटिश रूलर्स से हमेशा यही कहते थे कि भारतीयों और अफ्रीकन्स को एक ही तरह से नहीं देखा जाना चाहिए। लेखकों ने ये भी कहा है कि वो जिन बातों को सामने रख रहे हैं वह तो गांधीजी खुद अपनी ऑटोबॉयग्राफी में लिखा है।

'अफ्रीकन्स से बेहतर हैं भारतीय'

बुक के मुताबिक गांधीजी हमेशा ये मानते थे कि भारतीय अफ्रीकियों से बेहतर हैं। लेखकों के मुताबिक गांधीजी अंग्रेजों को इस बात का अहसास भी दिलाने की कोशिश करते रहे कि भारतीयों को हथियार रखने की इजाजत मिलनी चाहिए। इतना ही नहीं वे ये भी चाहते थे फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के दौरान भारतीयों को ब्रिटिश रॉयल आर्मी में जॉब मिले और वह भारत-इंग्लैंड दोनों जगह तैनात किए जाएं।

केवल अंग्रेज ही थे दोस्त

नई किताब में दावा किया गया है कि गांधीजी के केवल अंग्रेज ही दोस्त थे और उनके टॉलस्टॉय फॉर्म में अफ्रीकियों के लिए एंट्री नहीं थी। किताब में अफ्रीकी गांधी कहे जाने वाले नेल्सन मंडेला पर भी कमेंट किया गया है। इसमें लिखा गया है, “मंडेला को शायद इस बात का अहसास नहीं रहा होगा कि जिसे वे श्वेतों के खिलाफ जंग का हीरो मान रहे हैं वह गांधी अफ्रीकियों को पसंद नहीं करता था।” वाशिंगटन पोस्ट ने इस किताब के कुछ हिस्से पब्लिश किए हैं। आइए जानते हैं आखिर क्या है इनमें...

1- गांधीजी ने डरबन पोस्ट ऑफिस में श्वेत और अश्वेत लोगों के लिए अलग एंट्रेंस पर ऐतराज जताया था। गांधीजी ने अफ्रीकियों को काफिर बताते हुए कहा था कि भारतीयों को अफ्रीकियों से अलग करके देखा जाना चाहिए। गांधी के इस ऑब्जेक्शन के बाद एंट्रेंस को तीन हिस्सों में बांट दिया गया। पहला अफ्रीकियों के लिए, दूसरा एशियाई लोगों के लिए और तीसरा यूरोपीय लोगों के लिए।

2- एक दूसरे मामले में गांधीजी ने 1895 में एक लीगल पिटीशन दायर की। इसमें लिखा गया कि भारतीय अफ्रीकियों की तुलना में ज्यादा सिविलाइज्ड हैं और उनकी आदतों से इसका पता लगाया जा सकता है। गांधी जी ने भारतीयों और अफ्रीकियों के लिए एक जैसे कानून इस्तेमाल किए जाने पर चिंता जताई थी।

3- नटाल पार्लियामेंट को लिखे एक ओपन लेटर (1893) में गांधी जी ने लिखा, “भारतीयों और अंग्रेजों का मूल एक ही है और वो इंडो-आर्यन स्टॉक का ही हिस्सा हैं। अगर इस बात को ही माना जाए तो भारतीय अफ्रीका के गंवारों से बहुत बेहतर हैं।”

4- 1896 में बॉम्बे (अब मुंबई) में गांधी जी ने कहा था कि यूरोपियन लोग हमें उन काफिरों के साथ खड़ा करते हैं जो शिकार के भरोसे रहते हैं। उन्होंने ये भी कहा था कि हम इसलिए अलग हैं क्योंकि हम जानवर इसलिए इकट्ठा नहीं करते ताकि शादी कर सकें और बाद की जिंदगी नेकेड होकर गुजार दें।

5- जोहान्सबर्ग म्युनिशिपल कॉर्पोरेशन के इस फैसले के बाद कि भारतीयों और अफ्रीकियों को एक साथ रखा जाना चाहिए। गांधीजी ने 1904 में लिखा, “काफिरों को भारतीयों के साथ कैसे मिलाया जा सकता है। यह गलत है और दोनों पर एक जैसे टैक्स भी नहीं लगाए जा सकते।”

6- 1908 में अपने जेल एक्सपीरियेंस के बारे में गांधी ने लिखा, “हमें काफिरों के साथ क्यों रखा जाता है और हमें भी वही कपड़े क्यों दिए जाते हैं जिन पर N लिखा रहता है। इस एन का मतलब अफ्रीकियों से था। हम मेहनत करने के लिए तैयार हैं, लेकिन यह सब सहन नहीं कर सकते। अफ्रीकन्स के साथ भारतीयों को भी रखा जाना ज्यादती है।”

अरुंधति ने कहा-यह किताब गंभीर चुनौती पेश करती है

मशहूर राइटर अरुंधति रॉय ने किताब का समर्थन करते हुए लिखा है, 'हमें जिस तरह से गांधी को पढ़ना सिखाया गया है, यह किताब उसे गंभीर चुनौती देती है। यह (किताब) इस बात की मिसाल है कि किस तरह बारीक रिसर्च के बाद बिना किसी डर के इतिहास लिखा जा सकता है। यह उस कहानी को सामने लाती है, जो हमारी नजरों से ओझल थी। कुछ लोग इसे स्कैंडल मान सकते हैं।' अरुंधति पहले भी गांधी को जातिवाद का 'रखवाला' बता चुकी हैं।

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Answered by dishabiswas9371
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bhao vachya hga

Explanation:

kyuki es vackya me akarmak kriya h

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