गांधी साफ सफाई का ध्यान रखते थे इस बात को स्पष्ट कीजिए
Answers
Answer:
दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद दो वर्ष तक पूरे देश की यात्रा करते हुए गांधी जी को महसूस हुआ कि सफाई और सामाजिक स्वच्छता बड़ी और अजेय समस्या है। जानकारी का अभाव इसका इकलौता कारण नहीं था, वह मानसिकता भी इसका एक कारण थी, जो लोगों को स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर प्रभाव डोलने वाली इस सबसे गंभी समस्या पर सोचने से रोकती थी। दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी ने स्वीकार किया कि भारतीयों को सफाई और स्वच्छता से दिक्कत है, जैसा आरोप अंग्रेज लगाते रहे हैं। लेकिन उन्होंने विरोध करते हुए यह बात सफलतापूर्वक सामने रखी कि रंग को लेकर पूर्वाग्रह और प्रतिस्पद्र्धा का खतरा ही भेदभाव का मुख्य कारण है। लेकिन उनके अपने ही देश में वह जहां भी गए, उन्हें गंदगी, धूल, कचरा और सफाई करने वाले समुदाय के साथ जुड़ी वर्जना, कलंक और शौषण दिखाई दिया। गांधी जी 1909 में हिंद स्वराज लिख चुके थे। स्वशासन के रूप में ग्राम स्वराज और हिंद स्वराज की उनकी योजना में देश की राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए लड़ा अलग बात नहीं हो सकती थी और उन्होंने इसके सिद्धांत तथा कार्य बताए। बाद में इसे आश्रम के अनुपालन और रचनात्मक कार्य के रूप में प्रस्तुत किया गया। इस तरह सफाई एवं स्वच्छता तथा छुआछूत दूर करना दो बड़े रचनात्मक कार्यक्रम हो गए।
Explanation:
pls add me in brainliest
Answer:
दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद दो वर्ष तक पूरे देश की यात्रा करते हुए गांधी जी को महसूस हुआ कि सफाई और सामाजिक स्वच्छता बड़ी और अजेय समस्या है। जानकारी का अभाव इसका इकलौता कारण नहीं था, वह मानसिकता भी इसका एक कारण थी, जो लोगों को स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर प्रभाव डोलने वाली इस सबसे गंभी समस्या पर सोचने से रोकती थी। दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी ने स्वीकार किया कि भारतीयों को सफाई और स्वच्छता से दिक्कत है, जैसा आरोप अंग्रेज लगाते रहे हैं। लेकिन उन्होंने विरोध करते हुए यह बात सफलतापूर्वक सामने रखी कि रंग को लेकर पूर्वाग्रह और प्रतिस्पद्र्धा का खतरा ही भेदभाव का मुख्य कारण है। लेकिन उनके अपने ही देश में वह जहां भी गए, उन्हें गंदगी, धूल, कचरा और सफाई करने वाले समुदाय के साथ जुड़ी वर्जना, कलंक और शौषण दिखाई दिया। गांधी जी 1909 में हिंद स्वराज लिख चुके थे। स्वशासन के रूप में ग्राम स्वराज और हिंद स्वराज की उनकी योजना में देश की राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए लड़ा अलग बात नहीं हो सकती थी और उन्होंने इसके सिद्धांत तथा कार्य बताए। बाद में इसे आश्रम के अनुपालन और रचनात्मक कार्य के रूप में प्रस्तुत किया गया। इस तरह सफाई एवं स्वच्छता तथा छुआछूत दूर करना दो बड़े रचनात्मक कार्यक्रम हो गए।
चंपारण में गांधी जी
गांधी जी और उनके साथियों के सामने देश में ग्रामीणों के बीच सफाई और स्वच्छता की समस्या की गंभीरता तब स्पष्ट हो गई, जब उन्होंने चंपारण में कार्य शुरू किया। सबसे पहले यह बात गांधी जी के ध्यान में आई कि समुचित ग्रामीण शिक्षा के बगैर स्थायी कार्य असंभव है। चंपारण के गांवों में सफाई मुश्किल काम था। गांधी जी ने कहा कि भूमिहीन श्रमिक परिवार भी अपना मैला खुद उठाने को तैयार नहीं थे। चंपारण के दल में शामिल हुए डाॅ. देव ने नियमित रूप से सड़कों और मैदानों में झाडू लगाई, कुएं साफ किए और तालाब भरे। धीरे-धीरे गांव की सफाई के मामले में आत्मनिर्भरता का वातावरण तैयार होने लगा।
किसी कार्य से परिचित कराने और उसके प्रति झुकाव पैदा करने के लिए शिक्षा, प्रशिक्षण एवं व्यवहार की जरूरत के बारे में अपनी दृढ़ता के कारण गांधी जी ने चंपारण तथा सत्याग्रह आश्रम स्कूलों में सफाई तथा स्वच्छता की शिक्षा देनी शुरू की। चंपारण दल की महिलाओं को बताया गया कि सफाई, स्वच्छता और सदाचार की शिक्षा को साक्षरता से भी अधिक प्राथमिकता दी जाए। गौरतलब है कि उसके बाद से सफाई एवं स्वच्छता सभी राजनीतिक कार्यक्रमों एवं समाज सुधारों के अभिन्न अंग और आधार बन गए।
ise hame yeh pata chalta he ki Gandhi ji ko shuruaat se saaf sfai pasand thi