गांधी द्वारा प्रतिपादित ट्रस्टीशिय का सिद्धान्त का अर्थ
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गांधीजी के ट्रस्टीशिप अर्थात न्यासिता के सिद्धान्त के मूल में यह है कि पूंजी का असली मालिक पूंजीपति नहीं बल्कि पूरा समाज है, पूंजीपति तो केवल उस संपत्ति का रखवाला है। गांधीजी का यह मानना था कि जो संपत्ति पूंजीपतियों के पास है, वह उसके पास धरोहर के रूप में है।
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