गांधीवाद में राजनीतिक और आध्यात्मिक तत्वों का यही इस समन्वय मिलता है । बाद की विशेषता है। संसार में जितने भी बाद प्रचलित हैं वह प्राय: राजनीतिक क्षेत्र में सीमित हो चुके हैं । आत्मा से उनका संबंध आज विच्छेद होकर केवल बाम संसार तक उनका प्रसार रह गया है। मन की निर्मलता और ईश्वर-निष्ठा से आत्मा को शुद्ध करना गांधीवाद की प्रथम आवश्यकता है। ऐसा करने से निःस्वार्थ बुद्धि का विकास होता है और मनुवभ सच्चे अर्थों में जन-सेवा के लिए तत्पर ले जाता है | गांधीवाद सांप्रदायिकता के लिए कोई स्थान नहीं है। इसी समस्या को हल करने के लिए गांधी जी में अपने जीवन का बलियन दिया था । उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर पूछे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए गांधीवाद और अन्य प्रचलिय बाद किस प्रकार अलग है? गांधीवाद की आवश्यकता किसे बताया है ? ? गांधीवाद के लिए गाँधी जी को अपने जीवन का बलिदान क्यों देना पड़ा ?
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