Hindi, asked by saritasubhashsingh, 6 months ago

गंधर्वमुनिजन किसका ध्यान करते हैं?
साधुराज- सैनिक के हाथ क्यों नहीं आया?
हकीकत राय की समाधि मेला कब लगता है?
करणसिंह ने स्वामीजी पर तलवार का प्रहार क्यों किया?
दयानंद का घातक कों था उन्होंने उसके साथ प्यार कैसे प्रकट किया?​

Answers

Answered by siddharth3791
2

Answer:

मोह का क्षय होने से कैवल्य (पूर्ण ज्ञान) की प्राप्ति होती है। तीर्थकर केवली के लिए इंद्र विशाल जंगन सभा (समवसरण) का निर्माण करता है। समवसरण के केंद्र में उच्च स्थान पर भगवान के लिए कुटी होती है। इसमें सदैव मलयचंदन, कालागरू आदि जलते रहते हैं अतएव इसे गंधकुटी कहते हैं। साधारण केवलियों के लिए केवल गंधकुटी बनती है। समवसरण के प्रतीक जैन मंदिरों में गंधकुटी के स्थान पर गर्भगृह होता है तथा मूर्तियाँ इसी में रहती हैं। महात्मा बुद्ध के बैठने के स्थान को भी दिव्यावदान आदि में 'गंधकुटी' नाम से ही अभिहित किया गया है। त्रिलोकप्रज्ञप्ति (गाथा 887-892) में गंधकुटी का वर्णन है। ऋषभदेव की गंधकुटी की लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई क्रमश: 600, 600 और 900 दंड थी। इसके बाद नेमिनाथ पर्यंत तीनों में 25, 25 और साढ़े 37 दंड घटते गए। पार्श्वनाथ की गंधकुटी साढ़े 62 लं., चौ. और साढ़े 93 ऊँची थी। महावीर स्वामी की 50, 50 और 75 दंड, लंबी चौड़ी ऊँची थी। सारनाथ में बुद्ध की भी गंध कुटी अथवा मूलगंधकुटी थी।

HOPE THIS WILL HELP YOU..

BE HAPPY

Similar questions