गुड़ के गाहक सहस नर बिन्नू ले है ना कोई जैसा गागा कोकिला शब्द सुने सबको एक शब्द सुने सब कोई कोकिला सदा सुहागन दो को रंग एक कागज अब बाय अब आप कह गिरधर कविराय तुम सुनो हो ठाकुर मन के बिना गुण रहना को एस एस न गाहक गुण के नंबर फर्स्ट गुण के कहा कवि का क्या अभिप्राय समझा कर लिखिए नंबर सेकंड का गवाह कोकिला में क्या समानता है किस गुण के कारण कोयल स्थिति बन जाती है समझा कर लिखिए नंबर थर्ड कोयले से श्रुति के गुप्ता उसकी बोली कैसी होती है और वह सब को क्यों अच्छी लगती है बाय को पाषाण युग कहा जाता है उसकी बोली कैसी होती है कोई और कोयल की उदाहरण से आपको क्या शिक्षा मिलती है
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प्रस्तुत पंक्ति में गिरिधर कविराय ने मनुष्य के आंतरिक गुणों की चर्चा की है। गुणी व्यक्ति को हजारों लोग स्वीकार करने को तैयार रहते हैं लेकिन बिना गुणों के समाज में उसकी कोई मह्त्ता नहीं। इसलिए व्यक्ति को अच्छे गुणों को अपनाना चाहिए।
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