Science, asked by triptikumari9576, 9 months ago

गाड़ी के पहिए में लोहे की रिम को गर्म करके पहिए में लगाया जाता है। ठंडा करने पर
पहिए पर अच्छी तरह से बैठ जाता है तथा खुलता नहीं है। लोहे की रिम को गर्म करने तथा
ठंडा करने पर उसके आकार में क्या-क्या परिवर्तन हो रहा है?​

Answers

Answered by aamitmishra21
1

Explanation:

जब रिम को गर्म करते हैं तो वह फैलता है इसलिए वह आकार में बड़ा हो जाता है| जब वह ठंडा होता है तो वह सिकुड़ता है इसलिए वह पहिए को जकड़ लेता है और अच्छे से बैठ जाता है

Answered by Anonymous
4

हिंदी साहित्य की महत्त्वपूर्ण विधाओं में एक है-अनुच्छेद लेखन। यह अपने मन के भाव-विचार अभिव्यक्त करने की विशिष्ट विधा है जिसके माध्यम से हम संबंधित विचारों को ‘गागर में सागर’ की तरह व्यक्त करते हैं। अनुच्छेद निबंध की तुलना में आकार में छोटा होता है, पर यह अपने में पूर्णता समाहित किए रहता है। इस विधा में बात को घुमा-फिराकर कहने के बजाए सीधे-सीधे मुख्य बिंदु पर आ जाते हैं। इसमें भूमिका और उपसंहार दोनों को अधिक महत्त्व नहीं दिया जाता है। इसी तरह कहावतों, सूक्तियों और अनावश्यक बातों से भी बचने का प्रयास किया जाता है। यहाँ यह भी ध्यान रखना चाहिए कि अनावश्यक बातों को छोड़ते-छोड़ते हम मुख्य अंश को ही न छोड़ जाए और विषय आधा-अधूरा-सा लगने लगे। अनुच्छेद लेखन करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-

हिंदी साहित्य की महत्त्वपूर्ण विधाओं में एक है-अनुच्छेद लेखन। यह अपने मन के भाव-विचार अभिव्यक्त करने की विशिष्ट विधा है जिसके माध्यम से हम संबंधित विचारों को ‘गागर में सागर’ की तरह व्यक्त करते हैं। अनुच्छेद निबंध की तुलना में आकार में छोटा होता है, पर यह अपने में पूर्णता समाहित किए रहता है। इस विधा में बात को घुमा-फिराकर कहने के बजाए सीधे-सीधे मुख्य बिंदु पर आ जाते हैं। इसमें भूमिका और उपसंहार दोनों को अधिक महत्त्व नहीं दिया जाता है। इसी तरह कहावतों, सूक्तियों और अनावश्यक बातों से भी बचने का प्रयास किया जाता है। यहाँ यह भी ध्यान रखना चाहिए कि अनावश्यक बातों को छोड़ते-छोड़ते हम मुख्य अंश को ही न छोड़ जाए और विषय आधा-अधूरा-सा लगने लगे। अनुच्छेद लेखन करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-विषय का आरंभ मुख्य विषय से करना चाहिए।

हिंदी साहित्य की महत्त्वपूर्ण विधाओं में एक है-अनुच्छेद लेखन। यह अपने मन के भाव-विचार अभिव्यक्त करने की विशिष्ट विधा है जिसके माध्यम से हम संबंधित विचारों को ‘गागर में सागर’ की तरह व्यक्त करते हैं। अनुच्छेद निबंध की तुलना में आकार में छोटा होता है, पर यह अपने में पूर्णता समाहित किए रहता है। इस विधा में बात को घुमा-फिराकर कहने के बजाए सीधे-सीधे मुख्य बिंदु पर आ जाते हैं। इसमें भूमिका और उपसंहार दोनों को अधिक महत्त्व नहीं दिया जाता है। इसी तरह कहावतों, सूक्तियों और अनावश्यक बातों से भी बचने का प्रयास किया जाता है। यहाँ यह भी ध्यान रखना चाहिए कि अनावश्यक बातों को छोड़ते-छोड़ते हम मुख्य अंश को ही न छोड़ जाए और विषय आधा-अधूरा-सा लगने लगे। अनुच्छेद लेखन करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-विषय का आरंभ मुख्य विषय से करना चाहिए।वाक्य छोटे-छोटे, सरल तथा परस्पर संबद्ध होने चाहिए।

हिंदी साहित्य की महत्त्वपूर्ण विधाओं में एक है-अनुच्छेद लेखन। यह अपने मन के भाव-विचार अभिव्यक्त करने की विशिष्ट विधा है जिसके माध्यम से हम संबंधित विचारों को ‘गागर में सागर’ की तरह व्यक्त करते हैं। अनुच्छेद निबंध की तुलना में आकार में छोटा होता है, पर यह अपने में पूर्णता समाहित किए रहता है। इस विधा में बात को घुमा-फिराकर कहने के बजाए सीधे-सीधे मुख्य बिंदु पर आ जाते हैं। इसमें भूमिका और उपसंहार दोनों को अधिक महत्त्व नहीं दिया जाता है। इसी तरह कहावतों, सूक्तियों और अनावश्यक बातों से भी बचने का प्रयास किया जाता है। यहाँ यह भी ध्यान रखना चाहिए कि अनावश्यक बातों को छोड़ते-छोड़ते हम मुख्य अंश को ही न छोड़ जाए और विषय आधा-अधूरा-सा लगने लगे। अनुच्छेद लेखन करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-विषय का आरंभ मुख्य विषय से करना चाहिए।वाक्य छोटे-छोटे, सरल तथा परस्पर संबद्ध होने चाहिए।भाषा में जटिलता नहीं होनी चाहिए।

हिंदी साहित्य की महत्त्वपूर्ण विधाओं में एक है-अनुच्छेद लेखन। यह अपने मन के भाव-विचार अभिव्यक्त करने की विशिष्ट विधा है जिसके माध्यम से हम संबंधित विचारों को ‘गागर में सागर’ की तरह व्यक्त करते हैं। अनुच्छेद निबंध की तुलना में आकार में छोटा होता है, पर यह अपने में पूर्णता समाहित किए रहता है। इस विधा में बात को घुमा-फिराकर कहने के बजाए सीधे-सीधे मुख्य बिंदु पर आ जाते हैं। इसमें भूमिका और उपसंहार दोनों को अधिक महत्त्व नहीं दिया जाता है। इसी तरह कहावतों, सूक्तियों और अनावश्यक बातों से भी बचने का प्रयास किया जाता है। यहाँ यह भी ध्यान रखना चाहिए कि अनावश्यक बातों को छोड़ते-छोड़ते हम मुख्य अंश को ही न छोड़ जाए और विषय आधा-अधूरा-सा लगने लगे। अनुच्छेद लेखन करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-विषय का आरंभ मुख्य विषय से करना चाहिए।वाक्य छोटे-छोटे, सरल तथा परस्पर संबद्ध होने चाहिए।भाषा में जटिलता नहीं होनी चाहिए।पुनरुक्ति दोष से बचने का प्रयास करना चाहिए।

हिंदी साहित्य की महत्त्वपूर्ण विधाओं में एक है-अनुच्छेद लेखन। यह अपने मन के भाव-विचार अभिव्यक्त करने की विशिष्ट विधा है जिसके माध्यम से हम संबंधित विचारों को ‘गागर में सागर’ की तरह व्यक्त करते हैं। अनुच्छेद निबंध की तुलना में आकार में छोटा होता है, पर यह अपने में पूर्णता समाहित किए रहता है। इस विधा में बात को घुमा-फिराकर कहने के बजाए सीधे-सीधे मुख्य बिंदु पर आ जाते हैं। इसमें भूमिका और उपसंहार दोनों को अधिक महत्त्व नहीं दिया जाता है। इसी तरह कहावतों, सूक्तियों और अनावश्यक बातों से भी बचने का प्रयास किया जाता है। यहाँ यह भी ध्यान रखना चाहिए कि अनावश्यक बातों को छोड़ते-छोड़ते हम मुख्य अंश को ही न छोड़ जाए और विषय आधा-अधूरा-सा लगने लगे। अनुच्छेद लेखन करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-विषय का आरंभ मुख्य विषय से करना चाहिए।वाक्य छोटे-छोटे, सरल तथा परस्पर संबद्ध होने चाहिए।भाषा में जटिलता नहीं होनी चाहिए।पुनरुक्ति दोष से बचने का प्रयास करना चाहिए।विषय के संबंध में क्या, क्यों, कैसे प्रश्नों के उत्तर इसी क्रम में देकर लिखने का प्रयास करना चाहिए।

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