गोवा : जैसा मैंने देख
गोवा ! यह नाम सुनते ही सभी का मन तरंगायित हो उठता है और हो
भी क्यों न, यहाँ की प्रकृति, आबोहवा और जीवनशैली का आकर्षण ही
ऐसा है कि पर्यटक खुद-ब-खुद यहाँ खिंचे चले आते हैं। देश के एक कोने
में स्थित होने के बावजूद यह छोटा-सा राज्य प्रत्येक पर्यटक के दिल की
धड़कन है। यही कारण है कि मैं भी अपने परिवार के साथ इंदौर से गोवा
जा पहुँचा। खंडवा से मेरे साढू साहब भी सपरिवार हमारे साथ शामिल हो
गए।
२३ नवंबर को जब ‘गोवा एक्सप्रेस' मड़गाँव रुकी तो सुबह का उजास
हो गया था। एक टैक्सी के हॉर्न ने मेरा ध्यान उसकी ओर खींचा और हम
फटाफट उसमें बैठ गए। टैक्सी एक पतली-सी सड़क पर दौड़ पड़ी।
शीतल हवा के झोंकों से मन प्रसन्न हो गया और यात्रा की सारी थकान मिट
गई। मैं सोचने लगा कि पर्यटन का भी अपना ही आनंद है। जब हम जीवन
की कई सारी समस्याओं से जूझ रहे हों तो उनसे निजात पाने का सबसे
अच्छा तरीका पर्यटन ही है । बदले हुए वातावरण के कारण मन तरोताजा
हो जाता है तथा शरीर को कुछ समय के लिए विश्राम मिल जाता है।
कुछ देर बाद हमारी टैक्सी मडगाँव से पाँच किमी दूर दक्षिण में स्थित
कस्बा बेनालियम के एक रिसॉर्ट में आकर रुक गई। यह रिसॉर्ट हमने पहले
से बुक कर लिया था । इसलिए औपचारिक खानापूर्ति कर हम आराम
करने के इरादे से अपने-अपने स्यूट में चले गए। इससे पहले कि हम कमरों
से बाहर निकलें मैं आपको गोवा की कछ खास बातें बता दें। दरअसल,
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The circulatory system, also called the cardiovascular system or the vascular system, is an organ system that permits blood to circulate and transport nutrients (such as amino acids and electrolytes), oxygen, carbon dioxide, hormones, and blood cells to and from the cells in the body to provide nourishment.
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