गांव को एक जीवन विधी क्यों कहा जाता है
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ऐ आर देसाई को एक जीवन विधि कहा था
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ग्राम या गांव छोटी-छोटी मानव बस्तियों को कहते हैं जिनकी जनसंख्या कुछ सौ से लेकर कुछ हजार के बीच होती है। प्रायः गांवों के लोग कृषि या कोई अन्य परम्परागत काम करते हैं। गांवों में घर प्रायः बहुत पास-पास व अव्यवस्थित होते हैं। परम्परागत रूप से गांवों में शहरों की अपेक्षा कम सुविधाएं (शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य आदि की) होती हैं।
भारतवर्ष मुख्यतः गांवों का देश है. यहाँ की अधिकांश जनसँख्या गांवों में रहती है. आधे से अधिक लोगों का जीवन खेती पर निर्भर है, इसलिए इस बात की आप कल्पना भी नहीं कर सकतें कि गाँव के विकास के बिना देश का विकास किया जा सकता है. गाँधी जी ने कहा था - अगर आप असली भारत को देखना चाहते हैं तो गांवों में जाएँ. क्योंकि असली भारत गांवों में बसता है. भारत का ग्रामीण जीवन, सादगी और शोभा का भण्डार है.
भारत देश की आजादी के बाद से कृषि के विकास के साथ-साथ ग्राम-विकास की गति भी बढ़ी. आज भारत के अधिकांश गांवों में पक्के मकान पाए जाते है. लगभग सभी किसानों के पास खेती के साधन है. बहुत से किसानों ने नई तकनीकि को अपनाया और आज उनके पास कृषि में उपयोग किये जाने वाले यंत्र भी पाए जाते है. जिससे किसानों की आय भी बढ़ी है. गाँव में विकास की दृष्टि से शिक्षा पर भी पर्याप्त ध्यान दिया जा रहा है, जिसकी वजह से आज अधिकांश गांवों में प्राथमिक पाठशालाएं हैं और जहाँ नहीं है वहां भी सरकार द्वारा पाठशालाएं खोलने के प्रयत्न चलाये जा रहे है.
भारत इस ग्रेट "अपने गाँवों में भारत के जीवन की आत्मा", घोषित एम.के. गांधी 20 वीं सदी की शुरुआत में। 2001 भारतीय जनगणना, भारतीयों के 74% के अनुसार 638,365 विभिन्न गाँवों में रहते हैं। इन आकार के गाँवों में काफी अंतर है। 236,004 भारतीय गाँवों में एक कम से कम 500 की आबादी है, जबकि 3,976 गाँवों में 10,000 की आबादी है +. अधिकांश गाँवों में स्थानीय धार्मिक निम्नलिखित पर निर्भर है अपने स्वयं के मंदिर, मस्जिद या चर्च हैं।