गाँव के किसान सिरचन को क्या समझते थे?
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गाँव के किसान सिरचन को कामचोर समझते थे। गाँव वाले ही समझते थे कि सिरचन बेकार आदमी है। वह कोई भी काम मन लगाकर नहीं करता और धीरे-धीरे काम करने वाला तथा वो नापतोल कर काम करने वाला आदमी है। गाँव वाले समझते थे कि सिरचन कम काम करके मुफ्त में मजदूरी पाने वाला आदमी है।
सिरचन ‘ठेस’ नामक कहानी का पात्र है। जिसमें सिरचन एक स्वाभिमानी व्यक्ति है, लेकिन उसके गाँव वाले उस गलत समझते थे, जिससे उसको ठेस लगती थी।
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