गाँव के प्रति ठाकुरबारी के योगदान पर टिप्पणियां कीजिए ?
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गाँव की ठाकुरबारी का वर्णन अपने शब्दों में कीजिये।
गांव की ठाकुरबारी के प्रति गांव के लोगों में अगाध श्रद्धा की भावना थी। गांव में ठाकुरबारी की स्थापना कब हुई इसकी सटीक जानकारी किसी को नहीं थी। इस संबंध में जो कहानी प्रचलित थी उसके अनुसार सालों पहले जब गांव पूरी तरह बस नहीं पाया था तब यहां पर एक संत आये और झोपड़ी बनाकर रहने लगे। वो सुबह शाम ठाकुर जी की पूजा करते थे। लोगों से कुछ मांग कर खा लेते थे और दिन भर पूजा पाठ में लगे रहते थे। वो लोगों में पूजा-पाठ और धर्म-कर्म की भावना जागृत करते थे। बाद में उनके प्रति लोगों में श्रद्धा बढ़ती गई और उन्होंने ठाकुर जी का छोटा सा मंदिर बनवा दिया। फिर धीरे-धीरे गांव में आबादी बढ़ती चली गई। उसी प्रकार मंदिर के स्वरूप में भी विस्तार होता गया और वह छोटा सा मंदिर धीरे धीरे बड़ा मंदिर बनता गया।
ठाकुरबारी के ठाकुर जी से लोग मन्नत मांगते और उनकी मन्नत पूरी हो जाने पर खुशी-खुशी ठाकुर जी के मंदिर में चढ़ावा चढ़ाते। कोई अपना खेत का छोटा सा टुकड़ा मंदिर के नाम कर देता था। ठाकुरबारी के प्रति लोगों में श्रद्धा बढ़ती गई। गांव के किसान लोगों के मन में यह विश्वास हो गया कि ठाकुर जी की कृपा से ही उनके गांव में फसल अच्छी होती है। लोगों के विश्वास के कारण की ठाकुरबारी का निरंतर विकास होता गया अब यह गांव ठाकुरबारी के नाम से ही पहचाना जाने लगा।
ठाकुरबारी के नाम पर अनेकों बीघे खेत हो गए थे। ठाकुरबारी के लोगों की एक समिति बन गई थी और ठाकुरबारी की देखरेख और संचालन के लिए हर तीन साल में एक महंत और एक पुजारी की नियुक्ति होती थी। ठाकुरबारी का काम लोगों के अंदर ठाकुर जी के प्रति भक्ति भावना पैदा करना तथा धर्म से विमुख हो रहे लोगों को रास्ते पर लाना था। ठाकुरबारी मंदिर में निरतंर भजन कीर्तन होते रहते थे। जब भी गांव बाढ़ या सूखे की चपेट में आता तो ठाकुरबारी के अहाते में तंबू लग जाता और अखंड भजन कीर्तन शुरू हो जाता था।
गांव में कोई भी त्यौहार होता उसकी शुरुआत ठाकुरबारी से ही होती थी। होली के उपलक्ष्य में पहला गुलाल ठाकुरबारी को चढ़ाया जाता था। दीपावली का पहला दिया ठाकुरबारी में ही जलता था। किसी का जन्म हो, किसी की शादी हो, या अन्य कोई मांगलिक कार्य हो, तो उसमें दिये जाने वाली दान की शुरुआत ठाकुरबारी से ही होती थी। इस प्रकार ठाकुरबारी उस गांव और आसपास के गांव के लोगों में श्रद्धा और आस्था का केंद्र बन चुका था।