Hindi, asked by aryanbf599, 1 month ago

गाँव की प्रत्येक पंचायत के पास कोन कोन सी चीजें थी​

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Answered by anilahirwar0002
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Explanation:

किसी भी ग्रामसभा में 200 या उससे अधिक की जनसंख्या का होना आवश्यक है। हर गाँव में एक ग्राम प्रधान होता है। जिसको सरपंच या मुखिया भी कहते हैं। 1000 तक की आबादी वाले गाँवों में 10 ग्राम पंचायत सदस्य, 2000 तक 11 तथा 3000 की आबादी तक 15 सदस्य हाेने चाहिए। ग्राम सभा की बैठक साल में दो बार होनी जरूरी है। जिसकी सूचना 15 दिन पहले नोटिस से देनी होती है। ग्रामसभा की बैठक बुलाने का अधिकार ग्राम प्रधान को होता है। बैठक के लिए कुल सदस्यों की संख्या के 5वें भाग की उपस्थिति जरूरी होती है।

Answered by Anonymous
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Answer:

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  • अपने देश में दो तरह के गाँव थे – एक जिसमें जमीन के मालिक किसान खुद थे और दुसरे जिसमें जमीन कई राज परिवारों के हाथों में थी। दोनों तरह के गांवों में गाँव के लोगों की सभाएं होती थी। यह सभाएं गाँव के सारे कामकाज की देखरेख करती थी। राजा को गाँव वालों से लगान इकट्ठा करके देना, अपराधियों को पकड़ना और दंड देना, तालाब और नहर की देखरेख करना, गाँव की जमीन का का लेखा-जोखा रखना आदि भी सभाएं ही देखती थी। इन गांवों पर राजा के किसी अधिकारी का नियंत्रण नहीं था। ये सब काम गाँव की लोगों द्वारा बनाई गई समितियाँ करती थी।

  • यही नहीं, ये सब काम कैसे जाएँ, समिति में कौन होगा यह सब बातें भी गाँव के लोग अपनी जरूरतों के हिसाब से तय करते थे। सभा के फैसलों को मंदिरों की दीवारों पर खुदवाया जाता था।

  • उदहारण के रूप में – उस ज़माने के सोने के सिक्के चलते थे तो यह जानना बहुत जरूरी था कि सोना असली है या नकली। इसके लिए अलग से एक समिति बनाई जाती थी। इस समिति के लिए 8 लोगों का चुनाव किया जाता था। यह जानकारी हर टोले को दी जाती थी, हर टोले से पढ़े लिखे, नियम से लगान देने वाले और सोना परखने में होशियार लोगों का नाम बुलवाया जाता था। उन सबका नाम ताड़ पत्र के पर्चों पर लिखकर एक मटके के अंदर डाला दिया जाता था। फिर एक बच्चे से आठों पर्चो को निकालने को कहा जाता था। यही आठ लोग एक साल के लिए सोना परखने की समिति में रहेंगे, यह तय होता था। आप देख सकते है कि कैसे पुराने समय लोग इस बात पर जोर देते थे कि सब परिवारों को गाँव के कामकाज में भागीदार होना चाहिए। लेकिन इसमें अक्सर समस्याएँ भी आ जाती थी। कभी – कभी कुछ ही परिवार के लोग बार समितियों के सदस्य बन जाते थी या फिर वे राजा के अधिकारीयों की मदद से अपनी सदस्यता बनाए रखने की कोशिश करते थे।

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