Hindi, asked by sharadahiwale90, 7 months ago

गांव का विकास देश का विकास answer with 10 to 15 lines in short pls answer you will be marked as brainliest ​

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Answered by Zaynroy
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भारतवर्ष मुख्यतः गांवों का देश है | यहाँ की अधिकांश जनसँख्या गांवों में रहती है | आधे से अधिक लोगों का जीवन खेती पर निर्भर है, इसलिए इस बात की आप कल्पना भी  नहीं कर सकतें कि गाँव के विकास के बिना देश का विकास किया जा सकता है | गाँधी जी ने कहा था - अगर आप असली भारत को देखना चाहते है तो गांवों में जाइये क्योंकि असली भारत गांवों में बसता है | भारत का ग्रामीण जीवन, सादगी और शोभा का भण्डार है |  

 

भारतीय ग्रामीणों की आय का प्रमुख साधन कृषि है | कुछ लोग पशु-पालन से अपनी जीविका चलातें  है तो कुछ कुटीर उद्द्योग से कमाते है | कठोर परिश्रम, सरल स्वभाव और उदार ह्रदय ग्रामीण जीवन की प्रमुख विशेषताएं है | भारतीय किसान सुबह होते ही खेतों पर निकल जातें है और सारा दिन कड़ी धूप में अपना खून-पसीना एक करके कड़ी मेहनत करतें है | यकीन मानिये गाँव की प्राकृतिक सुन्दरता मन मोह लेती है | कोसों दूर तक लहलहाते हुए हरे-भरे खेत और चारों  तरफ रंग-बिरंगे फूल और उनकी फैली हुयी खुशबू मदहोश कर देती है | चारों  तरफ चहचहाते हुए पक्षी मन मोह लेते हैं| सादगी और प्राकृतिक शोभा से भरे हुए भारतीय गांवों की अपनी अलग ही एक पहचान है |

 

भारत देश की आजादी के बाद से कृषि के विकास के साथ-साथ ग्राम-विकास की गति भी बढ़ी | आज भारत  के अधिकांश गांवों में पक्के मकान पाए जाते है| लगभग सभी किसानो के पास खेती के साधन है | बहुत से किसानों ने नयी तकनीकि को अपनाया और आज उनके पास कृषि में उपयोग किये जाने वाले यन्त्र भी पाए जाते है जिससे किसानों की आय भी बढ़ी है | गाँव में विकास की दृष्टि से शिक्षा पर भी पर्याप्त ध्यान दिया जा रहा है, जिसकी वजह से आज अधिकांश गांवों में प्राथमिक पाठशालाएं है और जहाँ नहीं है वंहा भी सरकार द्वारा पाठशालाएं खोलने के प्रयत्न चलाये जा रहे है |  

 

भारतीय किसानों की स्थिति ख़राब होने का एक प्रमुख कारण कृषि-ऋण है | बड़े-बड़े सेठ और साहूकार किसान को थोडा सा ऋण देकर उसे अपनी फसल बहुत कम दाम में बेचने  को मजबूर कर देते हैं| इसलिए आज अधिकांश गांवों में बैंक खोले गए है जो मामूली ब्याज पर किसानों को ऋण देते हैं | अगर देखा जाये तो  सरकार द्वारा  चलाये गए छोटे व कुटीर उद्द्योगों के स्थापना से किसानों को सही मात्रा में लाभ प्राप्त हो रहा है | जिससे पता चलता है की भारत में किसानों की स्थिति में कुछ सुधार तो हुआ है |  

 

अगर हम पहले गांवों में यातायात के साधन पर नज़र डालें तो उनकी मात्रा  बहुत कम थी | गाँव से पक्की सड़क 15-20 किलोमीटर दूर तक हुआ करती थी | कहीं-कहीं रेल पकड़ने के लिए ग्रामीणों को 50-60 किलोमीटर तक पैदल जाना पड़ता था |लेकिन अब यातायात के साधनों का विकास तो किया गया लेकिन सड़कें आज भी जर्जर हैं | ग्रामीण सड़कों की दिशा में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी  है | अभी देखा जाये तो अधिकांश भारतीय किसान निरक्षर हैं| भारतीय गाँवो में उद्द्योग धंधों का विकास अधिक नहीं हो सका है | ग्राम-पंचायतों और न्याय-पंचायतों को धीरे-धीरे अधिक अधिकार प्रदान किये जा रहें है | इसलिए यह सोचना भूल होगी कि जो कुछ किया जा चुका  है, वह बहुत है | वास्तव में इस दिशा में जितना कुछ किया जाये, कम है |  

 

हमे इस बात को बिल्कुल भूलना नहीं चाहिए कि गाँव के विकास के बिना देश का विकास होना बिल्कुल भी संभव नहीं है | थोड़ी सी सफाई या कुछ सुविधाएँ प्रदान कर देने मात्र से गांवों का उद्धार होना बहुत मुश्किल है | बदलते वक्त के साथ अगर भारतीय गांवों पर ध्यान नहीं दिया गया तो इनका अस्तित्व खतरें में पड़ सकता है |

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