ग्वालियर में हमारा एक मकान था। उस मकान के दालान में दो रोशनदान थे। उसमें कबूतर के एक जोड़े ने घोंसला बना लिया था। एक बार बिल्ली ने उचककर दो में से एक अंडा तोड़ दिया। मेरी माँ ने देखा तो उसे दुख हुआ। उसने स्टूल पर चढ़कर दूसरे अंडे को बचाने की कोशिश की लेकिन इस कोशिश में दूसरा अंडा उसी के हाथ से गिरकर टूट गया। कबूतर परेशानी में इधर-उधर फड़फड़ा रहे थे। उनकी आँखों में दुख देखकर मेरी माँ की आँखों में आँसू आ गए। इस गुनाह को खुदा से मुआफ़ कराने के लिए उसने पूरे दिन रोजा रखा। दिनभर कुछ खाया-पिया नहीं, सिर्फ़ रोती रही और बार-बार नमाज पढ़-पढ़कर खुदा से इस गलती को मुआफ़ करने की दुआ माँगती रही।
माँ की आँखों में आँसू आ गए थे क्योंकि
(क) कबूतर का अंडा बिल्ली ने तोड़ दिया था। (ग) लेखक की पत्नी ने कबूतर का अंडा तोड़ दिया था।
(ख) कबूतर का अंडा लेखक की माँ से टूट गया था।
(घ) कबूतर की आँखों में दुख देखकर व्यथित हो गई थीं।
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माँ की आँखों में आँसू आ गए थे क्योंकि...
➲ (ख) कबूतर का अंडा लेखक की माँ से टूट गया था।
⏩ लेखक की माँ की आँखों में आँसू इसलिए आ गए थे, क्योंकि कबूतर का अंडा लेखक की माँ के हाथों से टूट गया था।
जब लेखक के घर में कबूतरों ने रोशनदान में घोंसला बना लिया और दो अंडे दिए तो उनमें से एक अंडा बिल्ली ने तोड़ दियाय़ दूसरे अंडे को सुरक्षित बचाने के चक्कर में लेखक की माँ ने अंडे को उठाया तो उनके हाथों से अंडा गिर कर टूट गया है, इसी बात का उन्हें अफसोस रहा। अंडा टूटने के कारण कबूतर के दुख को देखकर लेखक की माँ बहुत ज्यादा दुखी हो गई और उनकी आँखों में आँसू आ गये।
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