गावो में फैशन विषय पर आलेख
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गांव की मिट्टी की खुशबू कौन भूल सकता है भला? गांवों की बात ही निराली होती है। चाहे वह मिट्टी की सौंधी खुशबू हो, या फिर गांव की बोली, या वहां का पहनावा। वैसे भारत जैसे कृषि प्रधान देश में गांवों की संख्या भी अधिक है। हर गांव का रंग एक दूसरे से अलग और निराला है। हर गांव का पहनावा, गहने, रहन-सहन सभी कुछ एक दूसरे से बहुत भिन्न है। आज हम नए-नए फैशन वीक्स में रैम्प पर जो एथनिक फैशन देखते हैं, वह अधिकतर गांवों से आई है। हर गांव, फैशन की एक नई कहानी सुनाता है। आइये आज सैर करते हैं भारत के इन्ही गांवों में, और जानते है फैशन की एक नई कहानी..
देखा जाए तो भारत के उत्तरी भाग में गांवों में पहनावा, बोली, गहने आदि के प्रकार और दक्षिण भारत के गांवों में इन सबके प्रकारों में जमीन आसमान का अंतर है। विविधता में एकता के सूत्र में बंधे ग्रामीण भारत की फैशन में भी विविधता है। जहां उत्तरी भारत में सिक्कों की माला का महत्व है, वहीं आज भी दक्षिण भारत में गांवों में सोने या सोने जैसे दिखने वाले गहनें प्रचलित हैं। देखते हैं भारत के विभिन्न गावों की खास फैशन।
१.कश्मीर की वादियों से: आपको पुराने जमाने के वह फोटोज याद हैं जिसमें नवविवाहित दंपति कश्मीरी पोशाकों में दिखाई देते थे? कश्मीर हमेशा से ही धरती का स्वर्ग रहा है, चाहे वह प्राकृतिक सुंदरता हो या वहां के लोगों की सुंदरता। कश्मीर पर देखा जाए तो शुरू से ही हिंदू और मुस्लिम दोनों संस्कृतियों का प्रभाव रहा है, इसीलिए यहां के मर्दों के पहनावे पर मुस्लिम छाप तो औरतों के पहनावे पर हिंदू छाप होती है। कश्मीर ठंडा प्रदेश होने के कारण यहां पर ऊनी कपड़ों के बहुत से प्रकार मिलते हैं। यहां की महिलाएं पहरान पहनती है। पहरान एक तरह की कुरते जैसा लंबी पोशाक होती है। जरी और ब्रोकेड का बना यह पहरान अनेक रंगों का होता है। इसमें अनेक जेबें भी होती है। इस पर तारंगा पहना जाता है। कश्मीर की पहचान तारंगा याने महिलाओं के सिर विशेष तरीके से बंधा हुआ कपडा। यह एक तरह का स्कार्फ होता है। हिंदू विवाह में यह तारंगा जरूर पहना जाता है। इसमें एक टोपी भी जुड़ी हुई होती है। इस पूरे पोशाक की खूबसूरती बढ़ाने के लिए ब्लैक मेटल और चांदी के झुमके होते हैं, ये पोशाक के साथ जुड़े होते हैं, साथ ही गले का नेकलेस, सर पर विशेष बेंदी जैसा गहना (हेडगिअर) भी काफी प्रचलित है। सर पर बांधा जाने वाला तारंगा कई प्रकार का होता है। यह पश्मीना शॉल का बना होता है। लाल रंग कश्मीर में काफी पवित्र माना जाता है। इसके साथ ही यहां पैर में गुराबी पहनी जाती है। यह एक प्रकार की मोजड़ी होती है। कश्मीर में यह काफी प्रचलित है। पहले यह मोजड़ी पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग होती थी, लेकिन अब बिना लेस की बनी यह गुराबी पुरुष व महिलाएं दोनों पहन सकते हैं। कश्मीर के गांवों में पुरुष मुख्यत: पठानी पजामा कुर्ते में देखे जाते हैं। ठंडा होने के कारण मुख्यत: इस पर जॅकेट, कोटी, स्वेटर पहना ही जाता है। धरती के स्वर्ग कश्मीर की यह ग्रामीण सुंदरता कश्मीर को सबसे अलग करती है।...
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