Social Sciences, asked by promila9213552790, 4 months ago

गांव में लोग अनौपचारिक क्षेत्र पर क्यों निर्भर थी ​

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Answered by vivekbt42kvboy
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अनौपचारिक क्षेत्र में ज्यादातर एमएसएमई आते हैं. इन क्षेत्रों में लगे कामगारों की देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में अहम भूमिका होती है. सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के तहत काम करने वाले केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के आंकड़ों के मुताबिक 2017-18 के दौरान कुल सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) में एमएसएमई की हिस्सेदारी 31.8 प्रतिशत थी. वहीं वाणिज्यिक खुफिया और सांख्यिकी महानिदेशालय (डीजीसीआईएस) के आंकड़ों के मुताबिक 2018-19 के दौरान भारत के कुल निर्यात में एमएसएमई से जुड़े उत्पादों की हिस्सेदारी 48.10 प्रतिशत रही है. राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएस) के आंकड़ों के मुताबिक गैर-कृषि एमएसएमई में करीब 11.10 करोड़ लोगों को रोजगार मिला हुआ है.

इतनी बड़ी संख्या में एमएसएमई क्षेत्र में रोजगार पाने वाले कर्मचारी और मजदूर देशबंदी के दौरान भगदड़ और मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं. अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वालों की नौकरियां सुरक्षित नहीं होतीं और जरा-सी आर्थिक हलचल पर इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कामगारों को हटा दिया जा सकता है. अभी यह माना जा रहा है कि जो श्रमिक देशबंदी के दौरान परिवार के साथ अपनी गांव की ओर भागे, या अभी भी इंतजार कर रहे हैं कि सरकार उन्हें घर पहुंचाने का इंतजाम करे, उनमें ज्यादातर दिहाड़ी मजदूर हैं. वहीं कई लाख कामगार ऐसे हैं, जो ईपीएफओ जैसी सेवाओं का लाभ नहीं पाते और सरकार की ओर से दी जा रही कोई सामाजिक सुरक्षा उन्हें नहीं मिलती. उनकी चिंता एक महीने का वेतन रुकने के बाद शुरू होने वाला है.

इस क्षेत्र के कई लाख कामगार ऐसे हैं, जो ईपीएफ या सरकार की मेडिकल या बीमा सेवा का लाभ लेते हैं, लेकिन उनकी बड़े पैमाने पर वेतन कटौती हुई है, जिससे आने वाले दिनों में उनकी जिंदगी दूभर होने वाली है.

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