(ग) “ वाणी में विद्युत - शक्ति विराजती थी' का क्या तात्पर्य है ?
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वाणी में विद्युत शक्ति विराजती का तात्पर्य यह है कि वाणी ओजस्वी थी जिसको सुनकर मस्तिष्क में विद्युत की भाँति विचार कौंधते थे।
नरेन्द्रनाथ उर्फ स्वामी विवेकानंद की वाणी में विद्युत शक्ति विराजती थी। उनकी वाणी ओजस्वी थी। उनकी वाणी आलोक एवं स्फूर्ति प्रदान करती थी। उनको सुनकर जिस तरह विद्युत धारा तेजी से फैलती है, उसी तरह लोगों के मन में भाव फैलते थे। उसी तरह की वाणी स्वामी रामकृष्ण परमहंस की वाणी भी थी। उनकी वाणी भी विद्युत की भाँति मस्तिष्क में कौंध जाती थी।
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