गाँव और शहर में तुलना
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शहरी लोग गॉव वालों को बेवकूफ और गवांर समझते हैं, लेकिन वो लोग गवांर नहीं भोले होते हैं|
जबकि शहरी, मतलबी और शातिर; हर वक्त अपना फायदा देखने वाले होते हैं|
शहर के लोग, जब गांव जाते हैं तो वहीँ रम जाते हैं और वैसा ही बर्ताव करने लगते हैं लेकिन जब ये लोग
फिर से शहर में आते हैं तो फिर से अपने ही रंग में नजर आते हैं|
एक नहीं, हजारों उदाहरण, इस तथ्य को प्रमाणित करते; आपको कहीं ना कहीं दिखा जाएँगे|
हाँ, गावं वाले थोड़े असभ्य और बेवकूफ होते हैं जो यदा-कदा भद्दी गालियाँ अनायास ही देते दिखा जाएँगे
लेकिन वही लोग, किसी वहां की चोट खाए को मदद करते भी सबसे पहले नजर आएंगे; नहीं तो शहर में तो
किसी को धक्का लग जाए तो दूसरी गाड़ी से आते लोग देखते हुए... ओहो..हो.हो. करते और आगे बढ़ जाते
हैं| कोई लाचार की मदद को आगे भी नहीं आता| आते हैं तो बस कुछ चाय-पान की दुकान "वाले", रिक्शा
"वाले", ठेला "वाले", सब्जी "वाले"..... "वाले"..... यानि गावं के लोग, जो शहर अपनी रोजी-रोटी के लिए
आते हैं लेकिन अपनी सभ्यता, अपना कर्त्तव्य नहीं भूल पाते हैं|
और हमलोग जो शुरू से ही शहर में रहे हैं... गावं जाने का मौका ना के बराबर ही मिल पाता है| अपनी
तरक्की और आगे बढ़ने की चाह में कुछ ऐसे अंधे हो गए हैं कि हमें अपनी जरुरत के आगे कुछ दिखता ही
नहीं; ना तो किसी के मदद की पुकार| ना ही किसी दुर्घटना से जूझ रहा इंसान| इसे हम अपनी तरक्की
कहते हैं... हम अपने इस तरीके को "कूल" कहते हैं| और जब भी बात गावं की होती है तो हम उन्हें गवांर
कह कर संबोधित करते हैं और एक बेशर्मी भरी मुस्कान के साथ आगे बढ़ जाते हैं|
जबकि शहरी, मतलबी और शातिर; हर वक्त अपना फायदा देखने वाले होते हैं|
शहर के लोग, जब गांव जाते हैं तो वहीँ रम जाते हैं और वैसा ही बर्ताव करने लगते हैं लेकिन जब ये लोग
फिर से शहर में आते हैं तो फिर से अपने ही रंग में नजर आते हैं|
एक नहीं, हजारों उदाहरण, इस तथ्य को प्रमाणित करते; आपको कहीं ना कहीं दिखा जाएँगे|
हाँ, गावं वाले थोड़े असभ्य और बेवकूफ होते हैं जो यदा-कदा भद्दी गालियाँ अनायास ही देते दिखा जाएँगे
लेकिन वही लोग, किसी वहां की चोट खाए को मदद करते भी सबसे पहले नजर आएंगे; नहीं तो शहर में तो
किसी को धक्का लग जाए तो दूसरी गाड़ी से आते लोग देखते हुए... ओहो..हो.हो. करते और आगे बढ़ जाते
हैं| कोई लाचार की मदद को आगे भी नहीं आता| आते हैं तो बस कुछ चाय-पान की दुकान "वाले", रिक्शा
"वाले", ठेला "वाले", सब्जी "वाले"..... "वाले"..... यानि गावं के लोग, जो शहर अपनी रोजी-रोटी के लिए
आते हैं लेकिन अपनी सभ्यता, अपना कर्त्तव्य नहीं भूल पाते हैं|
और हमलोग जो शुरू से ही शहर में रहे हैं... गावं जाने का मौका ना के बराबर ही मिल पाता है| अपनी
तरक्की और आगे बढ़ने की चाह में कुछ ऐसे अंधे हो गए हैं कि हमें अपनी जरुरत के आगे कुछ दिखता ही
नहीं; ना तो किसी के मदद की पुकार| ना ही किसी दुर्घटना से जूझ रहा इंसान| इसे हम अपनी तरक्की
कहते हैं... हम अपने इस तरीके को "कूल" कहते हैं| और जब भी बात गावं की होती है तो हम उन्हें गवांर
कह कर संबोधित करते हैं और एक बेशर्मी भरी मुस्कान के साथ आगे बढ़ जाते हैं|
rohitkumarmandal18:
city have polluted
Answered by
12
village is a small group of settlement which is usually located in a rural area where is town big and popular settlement which is an important centre of Commerce
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