Hindi, asked by Minto1425, 11 months ago

गाय की आत्मकथा पर निबंध....​

Answers

Answered by shishir303
25

                                                (निबंध)

                                गाय की आत्मकथा

मैं गाय हूं। इस संसार में लोग मुझे इसी नाम से बुलाते हैं। मैं एक दूध देने वाला पशु हूं। इस जीव-जगत में मैं एक स्तनधारी, शाकाहारी, चार पैरों वाला जानवर हूं। मनुष्य से मेरा बहुत पुराना आदिमकाल से नाता रहा है। मैं स्वभाव से बड़ी सीधी प्राणी हूं। बेवजह किसी को नुकसान नहीं पहुंचाती। लोग मेरे इस सीधेपन की मिसाल देकर किसी सीधे व्यक्ति से मेरी तुलना करते हैं, खासकर तब जब कोई स्त्री बेहद सीधी तो तो कहते हैं वो एकदम गाय के समान है। तब मुझे अच्छा लगता है।

हिंदू धर्म के लोग मुझे विशेष पूज्यनीय मानते हैं और मेरे शरीर के अंदर देवों का वास बताते हैं। वो मेरी पूजा करते हैं। मेरा बहुत आदर सम्मान करते हैं। मेरे शरीर की हर चीज को उपयोगी और पवित्र मानते हैं। चाहे मेरा मूत्र हो या मेरा गोबर। और दूध तो खैर है ही। मैं सदियों से भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म का अटूट हिस्सा रही हूँ।

लेकिन आज मुझे दुख होता है जब मैं देखती हूँ कि देश और समाज में मेरे नाम पर राजनीति का गंदा खेल खेला जा रहा है। मैं दो समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने का जरिया बन गयी हूँ ये देख कर मुझे अत्यन्त पीड़ा होती है। आखिर हूँ तो मैं एक प्राणी ही। मैं किसी धर्म-विशेष की नही बल्कि पूरी मानव जाति की हूँ। मैं नही चाहती कि मेरी रक्षा के नाम पर लोग आपस में लड़ मरें। एक प्राणी होने के नाते मेरी रक्षा करना हर मनुष्य का दायित्व है। ये किसी समुदाय विशेष तक सीमित नही रहना चाहिये।

अंत में मैं मनुष्यों से कहना चाहूंगी कि अगर तुम मुझे गौ-माता कहते हो तो मुझे माँ के समान दर्जा भी दो। मेर ख्याल रखो। मेरे नाम पर आपस में लड़ो नही। मैं तुम सब की हूँ। तुम सब मेरे हो।

Similar questions