गाय के बाहर शरीर का बनावट का उसके सारी क्रिया कार्तिक आर्यों के क्या संबंध है
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भारतीय कृषि में आधुनीकिकरण के बाबजूद पशुओं का विशेष स्थान हैं। दैनिक कृषि कार्य या दुग्ध उद्योग में पशुधन कृषक की सम्पदा हैं। पालतू जानवरों के शरीर की बाहरी रचना का आंतरिक क्रियाओं से विशेष सम्बन्ध होता है जिसे जानना कृषक बन्धुओं के लिए अति महत्व पूर्ण है। निम्नलिखित बिन्दु इस ओर प्रकाश ड़ालते हैं -
चुस्त शरीर बड़ी-बड़ी चमकीली आखें, चौकन्ने कान, पशु का स्वस्थ होना प्रदर्शित करते हैं।
पशु के शरीर की सामान्य बनावट औसत कद, मुलायम त्वचा, सुविकसित अंग तथा अच्छा स्वास्थ्य पशु को अच्छा उत्पादक तथा अधिक कार्य करने वाला प्रदर्शित करते हैं।
बड़े-बड़े खुले नथुने पशु के श्वसन तन्त्र का सुविकसित होना प्रगट करते हैं।
चौड़ा मुंह सुदृढ़ जबड़े तथा मजबूत दांत इसके द्योतक हैं कि पशु भली भांति चबा-चबाकर खाने वाला हैं। ऐसा पशु अधिक उत्पादक होता हैं।
ढले हुए जोड़, अच्छी सुविकसित हड्डियाँ, दुधारू तथा अधिक कार्य करने वाले पशुओं की निशानी हैं।
हल्के छोटे और गुटठ्ल सींग तथा लम्बें, पतले व नुकीले सींग क्रमश: शान्त तथा खूंखार होना प्रकट करते हैं।
बैलों तथा साड़ों का ठॉठ उठा हुआ अच्छा माना जाता हैं जबकि गायों में पतली गर्दन, छोटा ठूँठ तथा मध्यम गलकम्बल दुधारू होने की निशानी है।
सुदृढ़ तथा औसत लम्बाई के ऊपर से नीचे की ओर ढलवां पैर, अच्छे कार्य करने वाले पशुओं में वांछिनीय हैं खुर एक समान काले रंग के तथा उनके बीच में विदर का फासला कम होना अधिक अच्छा होताहैं सींग औसत लम्बाई के साथ गुट्ठल होने चाहिए इससे उनके सम्पर्क में रहने वाले मनुष्यों को कोई भय नहीं रहता और साथ ही पशु को भी आराम मिलता हैं।
लम्बी, चपटी, उभरी हुई तथा बड़ी - बड़ी पसलियों एवं उभरा हुआ तलपेट पशु के भीतरी अंगों का सुविकसित होना प्रकट करता हैं। अपलास्थि जितनी ही एक- दूसरे से दूर -दूर होगी उतना ही अच्छा होता हैं क्योंकि इससे बियाने के समय कष्ट कम होगा । हुक अस्थियाँ के मध्य जितना अधिक फासला होगा उतना ही बच्चा देने वाली गाय के गर्भाशय का विकास हो सकेगा और साथ ही बच्च के उलझने की सम्भावना कम होगी
वक्ष एवं हृत घेरे का बड़ा होना, फेफडों एवं हृदय का सुविकसित होना प्रकट करता हैं।
चिकना, लचीला सुविकसित थनो दार, हुई दुग्ध षिराओं बाला अयन गाय के अच्छे दुग्धोत्पादन का द्योतक हैं।
गाँठो रहित मुलायम अयन यह प्रकट करता हैं कि अयन रोगाणुओं से रहित है, अत: दुग्धउत्पादन अधिक होगा
नर पशुओं में चुस्त मुतान बडे-बड़े समान अण्डकोष एवं मुलायम वृष्णकोष इस बात को प्रदर्षित करते हैं। कि वह अच्छा तथा उत्तम प्रजन्न करने बाला हैं।
Answer:
भारत में वैदिक काल से ही गाय का महत्व रहा है। आरम्भ में आदान-प्रदान एवं विनिमय आदि के माध्यम के रूप में गाय उपयोग होता था और मनुष्य की समृद्धि की गणना उसकी गोसंख्या से की जाती थी। हिन्दू धार्मिक दृष्टि से भी गाय पवित्र मानी जाती रही है तथा उसकी हत्या महापातक पापों में की जाती है