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यावल्क्यस्य पत्नी का आसीत् ?
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अनेक संस्कृत प्रंथों से कई याज्ञवल्क्यों का विवरण मिलता है -
वशिष्ठ कुल के गोत्रकार जिनको याज्ञदत्त नाम भी दिया जाता है (मत्स्य पुराण, २००.६)
एक आचार्य जो व्यास की ऋक् परंपरा में से वाष्कल नामक ऋषि के शिष्य। (वायु पुराण, ६०.१२.१५)
विष्णुपुराण में इन्हें ब्रह्मरात का पुत्र और वैशंपायन का शिष्य कहा गया है। (३.५.२)
सबसे संरंक्षित जो विवरण मिलता है वो शतपथ ब्राह्मण से मिलता है। ये उद्दालक आरुणि नामक आचार्य के शिष्य थे। यहाँ पर उनको वाजसनेय भी कहा गया है।
ब्रम्हवाद को उस काल मे मजबूत और प्रतिष्ठित बनाने में बहुत बड़ा योगदान है।(याज्ञवल्क्य ने ब्रम्ह की व्याख्या की है ना की ब्राम्हणवाद की) राहुल संकृत्यन जी की बहुत ही महान ग्रन्थ "वोल्गा से गंगा" में पृष्ठ क्रमांक 118 से 134 में उपनिषदों का उदय और उनका समाज मे रोपड़ कैसे हुआ प्रवाहण और याज्ञवल्कय के द्वारा बताया गया है।