गचोटी २)बलराम ३) मक्सन ४) कच्चा माँ और बच्चे के बीच का रिश्ता संसार में बड़ा होताहै। इस विषय पर अपने विचार लिहिए २ ३.
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देवहूति ने पूछा कि व्यक्ति दुःखी क्यों रहता है? संसार में सच्चा सुख कहाँ है? आनन्द किसमें है? कपिल भगवान ने कहा कि संसार में दुःख तो है ही नहीं क्योंकि प्रकृति तो जड़ है वह सुख-दुःख नहीं दे सकती और परमात्मा तो सुखों की खान अर्थात् सुखराशि है| अतः वह भी दुःख नहीं दे सकता क्योंकि हम सब परमात्मा का ही अंश हैं|
“ईश्वर अंश जीव अविनासी, चेतन अमल सहज सुखरासी”| --मानस
समस्त संसार परमात्मा और प्रकृति से ही मिलकर बना है| जब ये दोनों ही दुःख नहीं दे सकते तो दुःख कहाँ है अर्थात दुःख तो है ही नहीं|
“कोउ न काउ सुख दुख कर दाता, निज कृत करम भोग फल भ्राता”|---मानस
शिक्षा- सुख-दुःख तो मन के धर्म हैं| जन्म-मरण शरीर और भूख-प्यास प्राणों का धर्म है| दुःख केवल कल्पित सुख का अभाव ही है| मनुष्य कल्पना करता है कि फलां स्थिति में ऐसा होगा और जब मनुष्य की कल्पना पूरी नहीं होती तो उसे दुःख होता है| हमने कल्पना की थी कि ऐसा ही होना चाहिए और ऐसा ही होगा| हम ये भूल जाते हैं कि इस संसार का मालिक परमात्मा है| वह जैसा चाहता है वैसा ही होता है| परमात्मा कभी भी दुःख दे नहीं सकता| हम बहुत आगे तक देख नहीं सकते परंतु परमात्मा बहुत आगे तक देख सकते हैं| उन्हें ज्ञात है कि हमारा कल्याण किसमें है, वे हम सबका कल्याण चाहते हैं और वही करते हैं जिसमें हमारा कल्याण हो परंतु वह कल्याण हमें तुरंत दिखाई नहीं देता|