Gad aur pad ma antar
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गद्य :- वाह रचना जो छंद के बंधनों से मुक्त होती है वह गद्य कहलाती है
पद्य:- वाह रचना जो श्रोता तथा पाठक के मन के भाव आत्मा के आनंद की दृष्टि करती है वह पद का लाती है
गद्य तथा पद्य में अंतर:- विषय और दृष्टि से गद्य और पद्य में यह अंतर है कि गद्य में विषय में विचार प्रधान और पद के विषय में भाव प्रधान होता है
___swarnim ___####
पद्य:- वाह रचना जो श्रोता तथा पाठक के मन के भाव आत्मा के आनंद की दृष्टि करती है वह पद का लाती है
गद्य तथा पद्य में अंतर:- विषय और दृष्टि से गद्य और पद्य में यह अंतर है कि गद्य में विषय में विचार प्रधान और पद के विषय में भाव प्रधान होता है
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