गड्ढा खोदकर जो डालो वही उग आता है' - ऐसा शालू से किसने कहा?
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गड्ढा खोदकर जो डालो वही उग आता है' - ऐसा शालू से किसने कहा?
गड्ढा खोदकर जो डालो वही उग आता है। ऐसा शालू से उसके माली ने कहा था।
व्याख्या :
‘पानी का पेड़’ पाठ में नन्ही शालू बगीचे में छोटे-छोटे गड्ढे खोद रही थी। उसके हाथ में एक छोटी लकड़ी और खुरपी थी। उसके सारे कपड़े में धूल मिट्टी में सने थे। उसकी माँ ने उसे ऐसा करते देखा तो गुस्से में शालू को खींचकर उसके गाल पर दो थप्पड़ मार दिए और डांटने लगी कि कपड़े गंदे क्यों कर दिए, अंदर नहीं खेल सकती थी।
शालू ने रोत हुए जवाब दिया मैं तो आपके लिए पानी बो रही थी। माली भैया कह रहे थे कि मिट्टी में गड्ढा खोदकर जो भी डालो वो उग आता है। आपको गर्मी में पानी की कितनी परेशानी होती है, इसलिए मैं पानी बो रही थी ताकि आपको पानी की परेशानी ना हो। ये सुनकर उसकी माँ को पड़ा उसे मारने का अफसोस हुआ।
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