गगड़ि गड़गड़ान्यो खंभ फाट्यो चरचराय, निकस्यो नर-नाहर को रूप अति भयानी है। ककति कटकटावै डाहैं, दसन लपलपावै जीभ, अधर फरको मुच्छ व्योम व्यापमानो है। भभरि भरभराने लोग, डडरि डरपाने धाम, थथरि थरथराने अंग, चितै चाहत खानो है। कहत 'रघुनाथ' कोपि गरजे नृसिंह जब, प्रलै को पयोधि मानो तडपि तड़तड़ानो है।
isme konsa ras hai ?
Rudr
Bhayanak
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गगड़ि गड़गड़ान्यो खंभ फाट्यो चरचराय, निकस्यो नर-नाहर को रूप अति भयानी है। ककति कटकटावै डाहैं, दसन लपलपावै जीभ, अधर फरको मुच्छ व्योम व्यापमानो है। भभरि भरभराने लोग, डडरि डरपाने धाम, थथरि थरथराने अंग, चितै चाहत खानो है। कहत 'रघुनाथ' कोपि गरजे नृसिंह जब, प्रलै को पयोधि मानो तडपि तड़तड़ानो है।
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