गह्यरलं ------------------ जसं आंगावरती शहारे
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) राष्ट्रभाषा का शाब्दिक अर्थ है- समस्त राष्ट्र में प्रयुक्त भाषा अर्थात आम जन की भाषा (जनभाषा) । जो भाषा समस्त राष्ट्र में जन-जन के विचार-विनिमय का माध्यम हो, वह राष्ट्रभाषा कहलाती है।
(2) राष्ट्रभाषा राष्ट्रीय एकता एवं अंतर्राष्ट्रीय संवाद-सम्पर्क की आवश्यकता की उपज होती है। वैसे तो सभी भाषाएँ राष्ट्रभाषाएँ होती हैं किन्तु राष्ट्र की जनता जब स्थानीय एवं तात्कालिक हितों व पूर्वाग्रहों से ऊपर उठकर अपने राष्ट्र की कई भाषाओं में से किसी एक भाषा को चुनकर उसे राष्ट्रीय अस्मिता का एक आवश्यक उपादान समझने लगती है तो वही राष्ट्रभाषा है।
(3) स्वतंत्रता--संग्राम के दौरान राष्ट्रभाषा की आवश्यकता होती है। भारत के संदर्भ में इस आवश्यकता की पूर्ति हिन्दी ने किया। यही कारण है कि हिन्दी स्वतंत्रता-संग्राम के दौरान (विशेषतः 1900 ई०-1947 ई०) राष्ट्रभाषा बनी।
(4) राष्ट्रभाषा शब्द कोई संवैधानिक शब्द नहीं है बल्कि यह प्रयो
Explanation:
कंपनी सरकार ने फोर्ट विलियम कॉलेज में हिन्दुस्तानी विभाग खोलकर अधिकारियों को हिन्दी सिखाने की व्यवस्था की। यहाँ से हिन्दी पढ़े हुए अधिकारियों ने भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में उसका प्रत्यक्ष लाभ देखकर मुक्त कंठ से हिन्दी को सराहा।
कंपनी सरकार ने फोर्ट विलियम कॉलेज में हिन्दुस्तानी विभाग खोलकर अधिकारियों को हिन्दी सिखाने की व्यवस्था की। यहाँ से हिन्दी पढ़े हुए अधिकारियों ने भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में उसका प्रत्यक्ष लाभ देखकर मुक्त कंठ से हिन्दी को सराहा।सी० टी० मेटकाफ ने 1806 ई० में अपने शिक्षा गुरु जान गिलक्राइस्ट को लिखा : 'भारत के जिस भाग में भी मुझे काम करना पड़ा है, कलकत्ता से लेकर लाहौर तक, कुमाऊँ के पहाड़ों से लेकर नर्मदा तक.... मैंने उस भाषा का आम व्यवहारस्वतंत्रता के पूर्व जो छोटे-बड़े राष्ट्रनेता राष्ट्रभाषा या राजभाषा के रूप में हिन्दी को अपनाने के मुद्दे पर
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