English, asked by subodhsah9749553208, 3 months ago

गहन संसार सागर का अथ॔​

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Answered by santoshimohanty631
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Answer:

अर्थ: जब मैं इस संसार में बुराई ... उपदेश देता और संसार सागर में डूबते ... वह दिन दूर नहीं जब तुम्हें गहन ...

Answered by saisankargantayat12
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Answer:

सैकड़ों, हजारों तालाब अचानक शून्य से प्रकट नहीं हुए थे। इनके पीछे एक इकाई थी बनवाने वालों की, तो दहाई थी बनाने वालों की। यह इकाई, दहाई मिलकर सैकड़ा, हजार बनती थी। लेकिन पिछले 200 बरसों में नए किस्म की थोड़ी सी पढ़ाई पढ़ गए समाज ने इस इकाई, दहाई, सैकड़ा, हजार को शून्य ही बना दिया। इस नए समाज के मन में इतनी भी उत्सुकता नहीं बची कि उससे पहले के दौर में इतने सारे तालाब भला कौन बनाता था। उसने इस तरह के काम को करने के लिए जो नया ढांचा खड़ा किया है, आई. आई. टी. का, सिविल इंजीनियरिंग का, उस पैमाने से, उस गज से भी उसने पहले हो चुके इस काम को नापने की कोई कोशिश नहीं की।

वह अपने गज से भी नापता तो कम से कम उसके मन में ऐसे सवाल तो उठते कि उस दौर की आई.आई. टी. कहां थी? कौन थे उसके निर्देशक? कितना बजट था, कितने सिविल इंजीनियर निकलते थे? लेकिन उसने सब को गए जमाने का गया, बीता काम माना और पानी के प्रश्न को नए ढंग से हल करने का वायदा भी किया और दावा भी। गांवों, कस्बों की तो कौन कहे, बड़े शहरों के नलों में चाहे जब बहने वाला सन्नाटा इस वायदे और दावे पर सबसे मुखर टिप्पणी है। इस समय के समाज के दावों को इसी समय के गज से नापें तो कभी दावे छोटे पड़ते हैं तो कभी गज ही छोटा निकल आता है।

इस गज को अभी यही छोड़ें और थोड़ा पीछे लौटें। आज जो अनाम हो गए, उनका एक समय में बड़ा नाम था। पूरे देश में तालाब बनते थे और बनाने वाले भी पूरे देश में थे। कहीं यह विद्या जाति के विद्यालय में सिखाई जाती थी तो कहीं यह जात से हट कर एक विशेष पांत भी बन जाती थी। बनाने वाले लोग कहीं एक जगह बसे मिलते थे तो कहीं वे घूम- घूम कर इस काम को करते थे।

गजधर एक सुन्दर शब्द है, तालाब बनाने वालों को आदर के साथ याद करने के लिए। राजस्थान के कुछ भागों में यह शब्द आज भी बाकी है। गजधर यानी जो गज को धारण करता है। और गज वही जो नापने के काम आता है। लेकिन फिर भी समाज में इन्हें तीन हाथ की लोहे की छड़ लेकर घूमने वाला मिस्त्री नहीं माना। गजधर तो समाज की गहराई नाप ले- उसे ऐसा दर्जा दिया गया है।

गजधर वास्तुकार थे। गांव- समाज हो या नगर- समाज- उसके नव निर्माण की, रख - रखाव की जिम्मेदारी गजधर निभाते थे। नगर नियोजन से लेकर छोटे निर्माण के काम गजधर के कंधों पर टिके थे। वे योजना बनाते थे, कुल काम की लागत निकालते थे, काम में लगने वाली सारी सामग्री जुटाते थे और इस सबके बदले वे अपने जजमान से ऐसा कुछ नहीं मांग बैठते थे, जो वे दे न पाएं। लोग भी ऐसे थे कि उनसे जो कुछ बनता, वे गजधर को भेंट कर देते।

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