'गई न सीधी राह' पंक्ति के माध्यम से कवित्री क्या कहना चाहती है? (no spams-- class 9th vaakh)
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प्रस्तुत वाखों का संकलन मीरा कान्त जी ने किया है। यहाँ प्रस्तुत वाखों में कवयित्री ललघद हमें यह कहना चाह रही हैं कि ईश्वर को ढूंढने के लिए मंदिर-मस्जिद में जाने से कोई फायदा नहीं होगा। ईश्वर को प्राप्त करने का केवल एक ही मार्ग है। अगर कोई सच्चे हृदय से अपने अंतःकरण की ओर झांकेगा, तो ही वह ईश्वर को प्राप्त कर सकता है। ललघद के अनुसार आत्मज्ञान ही सच्चा ज्ञान है, जो हमें आडंबरों से भरी इस समाज रूपी नदी में डूबने से बचा सकता है। उन्होंने धार्मिक तथा अन्य भेदभावों का विरोध किया है और ईश्वर को एक बताया है। उनके अनुसार सद्कर्म के द्वारा ही हम इस मायाजाल से मुक्त हो सकते हैं। कवयित्री के अनुसार, हम सद्कर्म तभी कर सकते हैं, जब हम अपने अंदर बसे अहंकार से मुक्त हो पाएंगे।
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