गजाननं भूतगणादिसेवितम्, कपित्थजम्बूफलचारुभक्षणम्।
उमासुतं शोकविनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्।।
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हाथी के मुख वाले, भूत गणों के द्वारा सेवित, कैट एवं जामुन का चाव से भक्षण करने वाले, सोक के नाश करता उमा पुत्र का मैं नमन करता हूं।विघ्नों के नियंता श्री गणेश के चरण कमलों के प्रति मेरा प्रणाम। गणेश को मोदक प्रिय तो कहा ही जाता है, इस लोक से प्रतीत होता है कि उन्हें कैद तथा जामुन के फल भी प्रिय है।
जिनकी कृपा से मोक्ष की इच्छा रखने वालों की अज्ञान में बुद्धि का नाश होता है,, जिनसे भक्तों को संतोष पहुंचाने वाली संप्रदाय से प्राप्त होती हैं, जिससे विघ्न बाधाएं दूर हो जाती हैं और कार्य में सफलता मिलती है,ऐसे गणेश जी का हम सदैव नमन करते हैं और उनका भजन करते हैं।
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