गजानन माधव मुक्ति बोध की कहानी
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गजानन माधव 'मुक्तिबोध' (Gajanan Madhav Muktibodh) का जन्म 13 नवंबर 1917 को श्योपुर (शिवपुरी) जिला मुरैना, ग्वालियर (मध्य प्रदेश) में हुआ था। आपके पिता का नाम माधवराव और माता का नाम पार्वती बाई था। पिता थानेदार रहकर उज्जैन में इन्स्पेक्टर पद से रिटायर हुए। पूजापाठ के प्रति आस्तिक विचार, निर्भीक, न्यायनिष्ठ और घोर रिश्वत-विरोधी होने के कारण जब रिटायर हुए तब खाली हाथ थे। मुक्तिबोध की प्रारंभिक शिक्षा उज्जैन में हुई। 1938 में बी० ए० पास करने के पश्चात आप उज्जैन के मॉर्डन स्कूल में अध्यापक हो गए । आपने अनेक स्थानों पर अध्यापन कार्य किया और अर्थ-संकट भी भोगा। 1954 में एम० ए० करने पर राजनाँद गांव के दिग्विजय कॉलेज में प्राध्यापक पद पर नियुक्त हुए।
मुक्तिबोध का विवाह माता-पिता की इच्छाओं के विरूद्ध हुआ था, किंतु पत्नी के साथ उनका वैचारिक अनुकूलता नहीं हो पाई। पत्नी को मुक्तिबोध के कवि-व्यक्तित्व की अपेक्षा सम्पन्नता और सुविधापूर्ण जीवन में अधिक रुचि थी। लाड-प्यार से पले मुक्तिबोध का शेष जीवन अभाव, संघर्ष और विपन्नता में कटा।