Hindi, asked by AllBosster, 2 months ago

गलत खान पान का नतीजा क्या है​

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Answered by parweensana3872
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Explanation:

आज कल हम लोग खान-पान व रहन-सहन के बदले तौर तरीकों के चलते विभिन्न बीमारियों का शिकार हो रहे है। इसमें पित्त की थैली की पथरी व किडनी की पथरी की शिकायतें अधिक आ रहीं हैं। पथरी से बचने के लिए रोज सुबह जागते ही कम से कम तीन गिलास पानी पीना चाहिए तथा रात में सोने से पहले दो गिलास पानी पीने की आदत डालनी चाहिए। पथरी से बचने के लिए दिन में 3 लीटर पानी पीना चाहिए। इसके साथ ही तला हुआ खाना, तेज मिर्च मसाला के खाने से भी बीमारी को बल मिलता है। भूखा नहीं रहना चाहिए, समय से खाना खाने व पानी पीने से आराम मिलता है। ध्यान रहे कि किडनी की पथरी अगर 7 से 10 एमएम तक की है तो दवा से ठीक की जा सकती है। इसके लिए मरीजों को आपरेशन कराने की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। उक्त सलाह जिला अस्पताल के सर्जन डा. पीयूष तिवारी का जो प्रश्न प्रहर के दौरान पाठकों के प्रश्नों के उत्तर देते हुए दी।

गलत खान-पान से बढ़ रहे दिल और किडनी रोग

5 वर्ष पहले

‘गलतरहन सहन और खान पान दिल और किडनी के रोग बढ़ा रहा है। देश में हर साल 2.5 लाख लोगों को किडनी ट्रांसप्लांट और डायलिसिस की जरूरत पड़ रही है। इसका कारण हाई ब्लड प्रेशर और शूगर की बीमारी है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इनमें से सिर्फ 7 हजार को ट्रांसप्लांट और 40 हजार को डायलिसिस की सुविधा मिल पाती है। बाकी के दो लाख मरीज इलाज के अभाव में मौत के करीब चले जाते हैं।

दुनिया में किडनी रोगों के इलाज पर हर साल 1 लाख करोड़ रुपए का खर्च आता है।’ रविवार को फिजिशियन फोरम की 25वीं वर्षगांठ पर देश भर से वरिष्ठ डॉक्टर दिल, किडनी, शूगर और इंफेक्शन पर चर्चा करने शहर पहुंचे थे। फोरम के सेक्रेटरी डॉ. निपुन महाजन ने बताया कि पंजाब मेडिकल काउंसिल द्वारा मान्यता प्राप्त इस कांफ्रेंस का नाम मेडिसिन अपडेट रखा गया था। ॉइसमें मेडिसिन की दुनिया में हो रहे नए बदलाव और इलाज के नए तरीकों पर चर्चा हुई।

इसमें एम्स दिल्ली से आए डॉ. जीसी खिलनानी ने निमोनिया, पीजीआई चंडीगढ़ से डॉ. अनिल भंसाली ने डायबिटीज, डॉ. मोहनीश छाबड़ा ने लीवर सिरोसिस और डॉ. विनय गोयल ने दिमाग से जुड़ी पार्किनसन बीमारी पर लेक्चर दिया। मौके पर पीएमसी सदस्य डॉ. कपिल गुप्ता, डॉ. विजय महाजन, डॉ. संजय मित्तल, डॉ. कश्मीरी लाल, डॉ. वीपी शर्मा, डॉ. अंकुश, डॉ. लालवानी, डॉ. अमित महाजन, डॉ. पवन गुप्ता, डॉ. तरसेम लाल, डॉ. एसपीएस सूूच,डॉ. जियोकॉफ जोशी और डॉ. भरत गुप्ता मौजूद रहे।

वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट और सेना से रिटायर कर्नल डॉ. अनिल ढल ने बताया कि सिर्फ दिल में लगने वाले स्टेंट का मूल्य ही तय क्यों किया गया है। पेट और बाकी जगह लगने वाले स्टेंट तो आज भी लाखों में बिक रहे हैं। स्टेंट के दाम कम हों इससे डॉक्टर भी खुश हैं। मरीज को सस्ती सेहत सेवा मिलेगी यह सही बात है लेकिन ऐसे निर्णय विज्ञान की कसौटी पर उठाने चाहिए। सरकार ने बिना होमवर्क के ही फैसला लिया है। स्टेंट बनाने वाली कंपनी ने अरबों रुपए अपने रिसर्च पर खर्चे हैं।

फिजिशियन फोरम की 25वीं वर्षगांठ पर देशभर से वरिष्ठ डॉक्टर पहुंचे। डॉक्टरों ने दिल, किडनी, शूगर और इंफेक्शन और अन्य बीमारियों पर विस्तार से चर्चा की

देशके वरिष्ठ नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. विजय खेर ने बताया कि फास्टफूड के दीवाने बच्चे आने वाले समय में बीमारियों को न्यौता दे रहे हैं। बच्चों को बचपन से ही तेज नमक और तली चीजें खाने की आदत पड़ जाती है। इससे आने वाले समय में डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है। किडनी के गंभीर मरीजों में 60 फीसदी बीपी और डायबिटीज के पुराने मरीज होते हैं। खाने में प्रोटीन, फल, सब्जियां और दूध जोड़ें। रोजाना सुबह और योग करें।

डीएमसीसे डॉ. राजेश महाजन ने बताया कि झोलाछाप डॉक्टरों के कारण अब छोटी छोटी बीमारी पर भी लोग एंटीबायोटिक खाने लग गए हैं। इससे बैक्टीरिया स्मार्ट हो गया है। एक बार शरीर में दवा जाती है तो बैक्टीरिया मर जाते हैं लेकिन जो नहीं मरते वह चौकन्ने हो जाते हैं। अगली बार जब मरीज वही एंटीबायोटिक खाता है तो बैक्टीरिया अपने शरीर के चारों ओर कवच तैयार कर लेता है जिससे दवा उसे छू भी नहीं पाती और मरीज ठीक नहीं होता।

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