गलता लोहा मे मोहन के पिता क्या काम करते थे
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गलत लोहा पाठ में मोहन के पिताजी ब्राह्मण थे व उन्होंने जीवनभर पुरोहिती की।
- मोहन के पिता का नाम वंशीधर था तथा वे पुरोहित थे।
- जीवन भर उन्होंने पुरोहिती का काम किया परन्तु अब वे वृद्ध हो चुके थे , उनसे अधिक श्रम नहीं होता था तथा व्रत उपवास भी वे नहीं कर सकते थे।
- एक दिन उन्हें चन्द्र दत्त के यहां रुद्री पाठ करने जाना था परन्तु उनकी तबीयत ठीक नहीं थी। मोहन के पिताजी चाहते थे कि मोहन उनकी मदद करे परन्तु मोहन पिता का अनुष्ठान कर पाने के लिए कुशल नहीं था। पिता का भार कम करने के लिए वह खेतो को ओर चल पड़ा , उसके हँसुवे की धार कम हो गई थी तब अचानक उसे अपने बचपन के मित्र धनरामकी याद आ गई।
- वह धनराम हँसुवे की धार तेज करवाने लोहार की दुकान पर पहुंच गया।
- लोहार की दुकान पर पहुंचकर मोहन धनराम से मिला व दोनों बचपन कि यादों मै खो गए ।दोनों हंस हंस कर बाते करने में मग्न हो गए। मोहन गया तथा पढ़ाई में निपुण था तथा मास्टरजी का चहेता भी था। मास्टरजी ने उसे मॉनिटर बनाया था।
- धनराम व मोहन की जाति में अंतर था परन्तु वह मोहन को सोना प्रतिद्वंदी नहीं मानता था।
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