गलता लोहा पाठ के आधार पर पहाड़ी गांव की समस्या पर विचार विश्लेषण कीजिए
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‘गलता लोहा’ पाठ के आधार पर अगर पहाड़ी गाँव की समस्या पर विचार करें तो हम पाएंगे कि पहाड़ी गाँवों की दुर्गम भौगोलिक स्थिति होने के कारण वहाँ पर सुख-सुविधाओं के अधिक साधन नहीं होते।
पहाड़ों के हर गाँव में विद्यालय नहीं होते। बहुत सारे गाँव के बीच किसी एक गाँव में ही विद्यालय होता है. जिससे बाकी बच्चों को कई मीलों पैदल चलकर तकलीफ उठाते हुए विद्यालय जाना पड़ता है। इस कारण पहाड़ी गाँव के बहुत से माँ-बाप अक्सर अपने बच्चों को सही ढंग से शिक्षा नहीं दिलवा पाते, इसलिए बच्चे शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ जाते हैं या उन्हें शिक्षा प्राप्त करने के लिए मैदानी क्षेत्रों का रुख करना पड़ता है। बहुत ही गरीब माँ-बाप की सामर्थ अधिक ना होने के कारण वे अपने बच्चों को दूसरी जगह भेज भी नहीं पाते और ऐसे बच्चे अच्छी शिक्षा से वंचित रह जाते हैं।
‘गलता लोहा’ पाठ में भी मोहन के साथ यही हुआ। उसे भी अपने विद्यालय के लिए कई मील पैदल जाना पड़ता था, जिससे वह थक जाता था। इसी कारण उसे रमेश के साथ पढ़ाई के लिए लखनऊ जाना पड़ा, जहां पर रमेश ने उसकी पढ़ाई पर विशेष ध्यान नहीं दिया और उसे अच्छी शिक्षा से वंचित रह जाना पड़ा। यदि उसके गाँव में अच्छा विद्यालय होता तो उसे बाहर नही जाना पड़ता और शायद उसका बेहतर हो पाता।
पहाड़ी गाँवों में अति-आवश्यक सुविधाओं की भी कमी होती है, जिससे वहाँ का जीवन कष्टप्रद हो जाता है। सरकारों द्वारा पहाड़ी गाँवों विकास के लिए और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है ताकि वहाँ के लोगों का जीवन सरल बने।
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गलता लोहा पाठ के आधार पर पहाड़ी गांव की समस्या पर विचार विश्लेषण कीजिए
गलता लोहा पाठ शेखर जोशी द्वारा लिखी गई है| गलता लोहा पाठ के आधार पर पहाड़ी गांव में जीवन व्यतीत करने में बहुत समस्याएँ आती है| पहाड़ी गाँव में स्कूल बहुत दूर होते है| स्कूल जाने के लिए बहुत समय लगता है| स्कूल जाने के लिए कोई यातायात का साधन नहीं होता है| नदी पर करके स्कूल पहुंचना पड़ता है| गाँव में लोग पढ़े लिखे नहीं होते है| गाँव में सारा काम खुद ही करना पड़ता है| घर से लेकर बहार तक का|
गाँव में अच्छे स्कूल , अस्पताल , अच्छे बाजार जैसी सुविधाएँ नहीं होती है| इसी कारण पहाड़ी गाँव में लोग पीछे रह जाते है| उन्हें बहुत जीवन में बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ता है|