गलत
(सही
नारायणपुर में फोटोग्राफर की
दुकान थी
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में – मेरे घर में मेरी दादी हमेशा कहा करती थी कि यदि तुम बाहर जा रहे हो और किसी ने रोक दिया, या किसी ने छींक दिया तो नहीं जाना चाहिए। परंतु जब मैंने विद्यालय में पढ़ा और समझा तो जाना कि यह अंधश्रद्धा है। तब से मैंने दादी को भी समझाकर उनका भ्रम तोड़ने की कोशिश की।
विद्यालय में – मेरा एक सहपाठी है; जिसका घर विद्यालय के पास में ही है। वह रोज विद्यालय देरी से आता है। मैंने कारण पूछा तो उसने बताया कि जब मैं निकलता हूँ, तो बिल्ली रास्ता काट देती है और मैं इंतजार करने लगता हूँ कि पहले कोई और रास्ता पार करे, तब मैं आगे जाऊँ। तब मैंने उसे समझाया कि ऐसा कुछ नहीं होता। यह अंधश्रद्धा है। अब वह रोज समय पर आता है। परिवेश में – मेरे पड़ोस में एक सज्जन रहते हैं। वे एक आँख से काने हैं। लोग किसी काम से जाते समय उनके सामने आने पर रुक जाते हैं। इससे वे बड़े दुखी रहते थे। मैंने लोगों से इस बारे में बात की और अब लोग उन्हें देखकर बुरा नहीं मानते। मुझे भी इस व्यवहारिक सुधार से सुख की अनुभूति